एक वक़्त था
प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री समाज को यह समझाना चाह रही है कि वक़्त कितना बदल गया है पहले जिन कामों से सुकून मिलता था...
होती तो होनी हैं, अनहोनी कहाँ होती है।
प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री समाज को यह समझाना चाह रही है कि अनहोनी जैसी कोई चीज़ इस दुनियाँ में नहीं होती क्योंकि हर इंसान...
मजबूरियाँ
चल रही है कुछ मजबूरियाँ,
इसलिए हर शै से बना रहा हूँ दूरियाँ,
सोचता हूँ दूर कही निकल जाऊं,
वापिस नजर न कभी इन्हें आऊं,
प्रचण्ड है, भयावह...
हमारा असली घर
प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री समाज को यह समझाना चाह रही है कि इंसान पूरी ज़िन्दगी मेहनत कर जो घर बनाता है सच में तो...
गलती हर इंसान से होती है
प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाना चाहती है कि सही और गलत में फर्क अनुभव कर ही पता चलता है। कभी-कभी हम...
आपके दिल में क्या है ?
प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री समाज को खुद को जानने कि प्रेरणा दे रही है, वह कहती है सब को अपने मन में झाँक कर...
महिलाओं की सुरक्षा से खेलती भारतीय बीपीओ कंपनियां
भारत सरकार की तरफ से हर साल महिलाओं की सुरक्षा और गोपनीयता की जरूरतों को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की तरफ से उठाए...
ज़िन्दगी के पहलू को समझने में देर तो लगती हैं
प्रस्तुत पक्तियों में कवियत्री समाज को समझा रही है कि भले ही सच को सामने आने में देरी लगती है मगर सच कभी छुपता...
नीला आकाश
दूर-दूर तक फैला नीला आकाश,
अंतहीन असीम,
कभी बादलों की चादर ओड़े,
कभी नीले रंग की छटा बिखेरता,
दूर क्षितिज तक बिखरा नीला आकाश,
नीले, उदे, काले, लाल, गुलाबी,
हरे...
खुदमे तुझको खोज कर ये मैंने जाना
प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री ईश्वर से पूछ रही है कि कैसे दुनियाँ को ये समझाया जाये कि आप हम सब में बसते है लेकिन...