दूर-दूर तक फैला नीला आकाश,
अंतहीन असीम,
कभी बादलों की चादर ओड़े,
कभी नीले रंग की छटा बिखेरता,
दूर क्षितिज तक बिखरा नीला आकाश,
नीले, उदे, काले, लाल, गुलाबी,
हरे -सफ़ेद, बादलों के झुरमुट से सजा,
नन्हें शैतान बच्चों जैसे शरारत में लिपटा,
सोया-जागा, अलसाया नीला आकाश।
चलते-उड़ते, रुकते घुमड़ते,दौड़ते-थकते,
कभी धमकाते तो कभी खुल कर बरसते,
बादलों की इन्हीं शैतानियों को चुपचाप ,
शांत गंभीर देखता नीला आकाश ।
चमकता-बहकता ,मचलते सूरज को,
नवेली किरणों की अठखेलियों के साथ ,
विहंसते-लजाते, लुढ़कते-पिघलते सूरज को ,
पीले आँगन में मुस्काता नीला आकाश।
चाँद-तारों के धनक – गोटे से सजा,
सूरज – बादलों के रिश्ते में बंधा,
‘लेखनी’ के रंगों में रचा -बसा ,
सतरंगे सपनों सा मधुर-सुहाना नीला आकाश।