प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाना चाहती है कि सही और गलत में फर्क अनुभव कर ही पता चलता है। कभी-कभी हम जिसे गलत समझते है वो ठीक होता है और जिसे हम सही समझते है वो गलत लेकिन हमारी आँखे अनुभव कर ही खुलती हैं।
कवियत्री कहती है हमे कभी किसी के लिए भी गलत धारणा बना कर आगे नहीं बढ़ना चाहिए क्योंकि सच तो अपने आप ही सामने आ जाता है भले ही उसमे देरी लगे, गलत कर भी इंसान अपनी गलती सुधार सकता है, क्योंकि सही दिशा में चलने वालों के लिए ईश्वर स्वम उसके लिए रास्ता खोलते है। गलत करने वाले को माफ़ कर अच्छा व्यक्ति और अच्छा बन जाता है और गलत इंसान सही दिशा में बढ़ जाता हैं।
अपनों का पता केवल सुख में नहीं पता पड़ता क्योंकि अपने तो वो होते है जो हर हाल में हमे प्यार करते है। हमारे दुख को भी अपना समझ बुरे वक़्त में भी हमारा साथ नहीं छोड़ते, बल्कि उस वक़्त भी हमे थाम वो हमे सही राह दिखाते हैं। हमारी मानसिक स्तिथि समझ वो हम पर नहीं चिल्लाते हैं। सही राह पर चलने वाले लोगो को समझना होगा कि वह कभी इस बात पर घमड़ न करे कि वह अच्छे है क्योंकि गलती किसीसे भी हो सकती हैं। आज हम किसी को माफ़ करेंगे तो कल अगर हमसे गलती होगी तो कोई हमें माफ़ कर देगा।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
अच्छाई का पता अनुभव कर,
ही पता चलता है।
बस कहने से नहीं,
सबके व्यवहार से सबकी,
असलियत का पता पड़ता हैं।
सच्चाई का पता सही वक़्त पर,
ही पता चलता है।
किसी के कहने से नहीं,
ईमानदार के लिए रस्ता,
तो स्वम ईश्वर द्वारा ही खुलता हैं।
अपनों का पता अनुभव कर,
ही पता चलता है।
बस ख़ुशी में नहीं,
दुख में भी अपनों का हाथ,
पकड़ना पड़ता हैं।
आदर्श व्यक्ति का पता,
अनुभव कर ही पता चलता है।
सिर्फ अच्छों के लिए ही नहीं ,
बुरे के लिए भी,
वो अपने दिल में मैल नहीं रखता हैं।