प्रस्तुत पक्तियों में कवियत्री समाज को समझा रही है कि भले ही सच को सामने आने में देरी लगती है मगर सच कभी छुपता नहीं, हर इंसान को अपनी गलती का पता होता है, लेकिन खुद को बचाने के लिए वह झूठ का सहारा लेता है।
इन पक्तियों द्वारा कवियत्री दुनियाँ को ये समझा रही है कि अगर हर मनुष्य खुदको संभाले अपने अंदर मन में झाँक के अपने ईश्वर से डरे और झूठ का सहारा न ले तो उसे दुनियाँ की कोई ताकत हरा नहीं सकती और गलती हर इंसान से होती है गलती करके उसे माने और ये दृढ संकल्प ले कि आगे फिर ये कभी नहीं होगा।ऐसा करके हर इंसान को सुख व शांति का अनुभव होगा।
हर दिन परिवर्तन क्षीण है कोशिश करो जो तुम कल थे वो तुम आज न हो और जो आज हो कल उससे और बेहतर बन जाओ यही एक मात्र सुख का रास्ता हैं, जिसे हमे वक़्त रहते समझना होगा। ज़िंदगी के पहलू को समझने में देर तो लगती हैं, लेकिन जब ये समझ में आ जाता है तभी से खुशियाँ का आरम्भ शुरू हो जाता है, अगर हम ठान ले तो हम क्या कुछ नहीं कर सकते।
ज़िन्दगी के पहलू को समझने में देर तो लगती हैं,
हर एक दिन को परख कर,
ये कवियत्री हर रोज़ कुछ लिखती हैं।
हर एक इंसान का सच,
बस उसी को पता होता है।
गलती कर पहले,
आगे फिर वही रोता है।
ज़िन्दगी के पहलू को समझने में देर तो लगती हैं,
यूँ ही नहीं किसी को ज़िन्दगी में ठेस लगती हैं।
हर एक क्षण में दुनियाँ बदल जाती है।
सम्भाले नहीं जो खुदको,
ज़िन्दगी की मुश्किलें बस उसे ही सताती हैं।
ज़िन्दगी के पहलू को समझने में देर तो लगती हैं,
जिसने मारी ठोकर, चोट उसे ही पहले लगती है।
इस बात की गहराई में छुपा, एक अनोखा ज्ञान है।
अपने मन में जिसने झाँका, वही मनुष्य बस सच्चा और महान है।
ज़िन्दगी के पहलू को समझने में देर तो लगती हैं,
ज़िन्दगी के पहलू को समझने में देर तो लगती हैं.