प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को अपनी समझ बढ़ाने की प्रेरणा दे रही है। वह कहती है कि हमेशा जो दिखता है वो सच नहीं होता हर इंसान को अपना दिमाग भी लगाना चाहिये किसी के बहकावे में आकर कुछ गलत कदम नहीं उठाने चाहिये। स्वामी विवेकानन्द की माँ उनसे कहा करती थी कि तुम्हारा अनुभव ही तुम्हारा सच्चा ज्ञान है। कवियत्री कहती है ऐसा ज़रूरी नहीं है कि  हम जीवन में कुछ पाकर ही बहुत कुछ सीखते है सच तो ये है की कभी-कभी खोकर भी हम बहुत कुछ पा लेते है। उदाहरण के तौर पर स्वामी विवेकानंद, गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में क्रोध, घमंड, बदले की भावना ये सब खोकर शांति पाई। कभी-कभी हम जीवन में कुछ पाना चाहते है लेकिन उसके न मिलने पर हम बिखर जाते है लेकिन याद रहे सब्र का फल मीठा होता है. लेकिन ये सब ईमानदारी के रास्ते में ही मिलता है।
उदाहरण के तौर पर स्वामी विवेकानंद, गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में क्रोध, घमंड, बदले की भावना ये सब खोकर शांति पाई। कभी-कभी हम जीवन में कुछ पाना चाहते है लेकिन उसके न मिलने पर हम बिखर जाते है लेकिन याद रहे सब्र का फल मीठा होता है. लेकिन ये सब ईमानदारी के रास्ते में ही मिलता है।
कवियत्री कहती है कि हम बिना कुछ कहे भी दुनियाँ को बहुत कुछ सिखा सकते है लेकिन पहले अपनी क्षमता को बढ़ाओ तुम्हारी सफलता को देख लोग खुद तुम्हारे पीछे आयेंगे। लेकिन संघर्ष के वक़्त अपने संघर्षो का बखान मत करना, क्योंकि संघर्षो की आखिरी सीढ़ी पर पहुँच कर भी सफलता नहीं मिली तो ये दुनियाँ तुम्हारा बस उपहास ही उढ़ायेगी इसलिए पहले सफल हो, फिर अपनी कथा सुनाना।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
कुछ किताब से सीखो, कुछ अनुभव कर जानो।
अन्ध-विशवास कर, तुम किसी की बात ऐसे ही न मानो।
जिसने करके दिखाया, उसके संघर्षो को देखो,
बुरे विचारों की गठरी, तुम अपने अंदर से फेको।
कुछ पाकर सीखो, तो कुछ गवां कर जानो।
अपने अच्छे विचारों की क्षमता को ही तुम बस मानों।
एक जन की सफलता दूसरे को भी राह दिखायेगी।
पिंजरे में रहकर, चिड़िया कैसे सबको उड़ कर दिखायेगी।
कुछ कहकर सिखाना, तो कुछ बिन कहे बताना,
अपने दिल का राज़, तुम हर किसी को न बताना।
जो सीखना चाहेगा तुमसे, वो खुद चल कर आयेगा।
खुद सीख पहले, वो दूसरों के सामने भी तुम्हारे ही गुण गान गायेगा ।
धन्यवाद
 
            
 
		



















































