बिन प्रयत्न सब व्यर्थ

bina pratayan sbhi bekar hai hindi kavita

देखो बढ़कर ज़रा, नील गगन में उड़कर
कब तक निर-चेतना असमंजित रहेगी
उज्जवल भविष्य की कामना मात्र
बिन प्रयत्न सब व्यर्थ रहेगी

हांथो पे हाँथ रखे जीवन नहीं चलता
लवड मिश्रित जल से किसी का,
कभी पेट नहीं भरता
शीतल जल की अलग ही कहानी है
होता है दुषित पग पग पर, फिर भी रवानी है.

वेग व्यंगय विस्तृत अनंत
व्यापक है बस परिश्रम सर्वत्र
आशा को नीरस निराशा भाती कहाँ
कामयाबी है बस वहां
उज्जवल चेतना संग परिश्रम है जहाँ.

विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न नमिता कौशिक ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com

[नमिता कौशिक की सभी कविताएं पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे]

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.