आखिर क्यों?
मिलने का दिन और वक़्त मुकर्रर करके,
क्यों मुकर जाते हैैं वो?
मेरे चेहरे को खुशी देके,
क्यों दूर ले जाते हैं वो?
कदर करते हैं ऐसा कहते...
हिन्दी का ज्ञाता
जो नहीं है हिन्दी का ज्ञाता
वो कैसे बन सकता है....?
भारत का भाग्य विधाता.
जिसको है हिन्दी का ज्ञान,
फिर चाहे वो कोई भी हो
पर हो अच्छा...
हँसो और हँसाओ
प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री सबको खुश रहने की सलाह दे रही हैं, वह कहती है कि हमे पहले खुद को खुश करना होगा, तभी...
भरी धूप
सोने से सुनहरी धूप कभी,
तो जैसे चिलचिलाती आग कभी l
सोचा कुछ इसमें हमने भी बैठ के,
याद आया कुछ,
बयां करना ना आसान जिसे l
धूप में...
जिंदगी : सुख, दुःख और कठिन परिश्रम
प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री समाज से ये याचना कर रही हैं कि हर इंसान अपने को सही करने में दिमाग लगाये, कोई इंसान खुदकी...
पर्यावरण हमारा
चलो आज एक वृक्ष लगाए
बची हुई मानवता को थोड़ा हम भी समझाए,
मौसम को दोष, औरो को कोसना
क्यों न अपने ही विनाश को रोकना.
ऑक्सीजन की...
चलो चला जाए।।
नीले नीले आसमान में से,
ये धूप सुनहरी आए,
फिर आंचल खोलें अपना,
वो प्यार से मुस्कुराए।
खुल के अपने परों को,
तुम भी ले उड़ चलो,
देखो बुलाए ये...
बच्चा गरीब का
माँ-बाप की मजबूरियां समझ जाता है,
बच्चा गरीब का जल्दी बड़ा हो जाता है,
अँधेरी है ऐसी जीवन में उसके आती,
उड़ा ले जाती बचपन उसका और...
पर्यावरण हमारी ज़िम्मेदारी
प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री समाज से पृथ्वी को बचाने की याचना कर रही हैं, वह अपनी कविता के ज़रिये दुनियाँ को सृष्टि का हाल...
परिवार का साथ
प्रस्तुत पक्तियों में कवियत्री समाज को परिवार का महत्व समझा रही हैं। वह समाज को इन पक्तियों द्वारा ये समझाना चाहतीं हैं कि परिवार...