जिंदगी : सुख, दुःख और कठिन परिश्रम
प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री समाज से ये याचना कर रही हैं कि हर इंसान अपने को सही करने में दिमाग लगाये, कोई इंसान खुदकी...
पर्यावरण हमारा
चलो आज एक वृक्ष लगाए
बची हुई मानवता को थोड़ा हम भी समझाए,
मौसम को दोष, औरो को कोसना
क्यों न अपने ही विनाश को रोकना.
ऑक्सीजन की...
चलो चला जाए।।
नीले नीले आसमान में से,
ये धूप सुनहरी आए,
फिर आंचल खोलें अपना,
वो प्यार से मुस्कुराए।
खुल के अपने परों को,
तुम भी ले उड़ चलो,
देखो बुलाए ये...
बच्चा गरीब का
माँ-बाप की मजबूरियां समझ जाता है,
बच्चा गरीब का जल्दी बड़ा हो जाता है,
अँधेरी है ऐसी जीवन में उसके आती,
उड़ा ले जाती बचपन उसका और...
पर्यावरण हमारी ज़िम्मेदारी
प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री समाज से पृथ्वी को बचाने की याचना कर रही हैं, वह अपनी कविता के ज़रिये दुनियाँ को सृष्टि का हाल...
परिवार का साथ
प्रस्तुत पक्तियों में कवियत्री समाज को परिवार का महत्व समझा रही हैं। वह समाज को इन पक्तियों द्वारा ये समझाना चाहतीं हैं कि परिवार...
इन्साफ मांगता गरीब
प्रस्तुत पक्तियों में कवियत्री दुनियाँ से ये पूछ रही है कि जैसे अमीरों की तनख़्वाह में बढ़ौतरी होती हैं, वैसे गरीबों को तनख़्वाह क्यों...
समय के महत्व को समझें
प्रस्तुत पक्तियो में कवियत्री दुनियां से याचना कर रही है कि वह समय की कीमत को समझे. दुनियां ये जाने की समय बहुत ही...
शादी – एक जन्मों जन्मांतर का रिश्ता
प्रस्तुत पक्तियों में कवियत्री समाज से याचना कर रही हैं कि वह शादी की गहराई को समझे, शादी दो इंसानो की नहीं होती, बल्कि...
घमंडी और ज्ञानी में अंतर
प्रस्तुत पक्तियों में कवियत्री ज्ञानी जनो के गुणों का वर्णन कर रही है। वह चाहतीं हैं ये दुनियाँ जानें, ज्ञानी वो नहीं जो घमंड...