आखिर क्यों?

aakhir kyon poetry by phirbhi.in

मिलने का दिन और वक़्त मुकर्रर करके,
क्यों मुकर जाते हैैं वो?
मेरे चेहरे को खुशी देके,
क्यों दूर ले जाते हैं वो?

कदर करते हैं ऐसा कहते हैं,
फिर क्यों इतना सताते हैं वो?
घड़ी-घड़ी सांसें चलती मेरी,
क्यों ये भूल जाते हैं वो?

नामंज़ूर मेरी बात से ही सही,
क्यों मंज़ूर जताते हैं वो?
रात की आगोश में बैठे हम,
क्यों नींद मेरी छी़न जाते हैं वो?

बतियाने के लिए बैठे जब,
क्यों सो जाओ के जाते हैं वो?
रात भर जागें हुए हम,
क्यों नींद लेकर सो जाते हैं वो?

हमारे दिल को बेचैन करके,
कैसे चैन से रह पाते हैं वो?
एक-एक पल मानो सहमा हुआ,
फिर क्यों हमें गले ना लगाते हैं वो?

इस कशमकश में लगे हुए,
क्यों अपना चेहरा छुपाते हैं वो?
हम मजबूर ना रूठ सके उनसे,
क्यों फायदा इसका उठाते हैं वो?

विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न रमा नयाल ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com

रमा नयाल की सभी कविताएं पढ़ने के लिए यह क्लिक करे 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.