प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ में मेहनती लोगो को बढ़ावा देने को कह रही है। वह कहती है कि इस दुनियाँ में बहुत से लोग है जो खुद को बेचारा समझ कर भीख मांगते है और मेहनत करना नहीं चाहते । कवियत्री कहती है ऐसे लोगो पर तरस खाकर,उन्हें पैसे देकर हम उनकी क्षमता पर संदेह करते है, किसी के लिए अगर कुछ करना ही है तो उसे नौकरी दो उससे काम करवाओ वरना एक बार अगर किसी की भीख मांगने की आदत लग गई फिर वो कभी खुद के पैरो पर नहीं खड़ा हो पायेगा और उसकी नज़र हमेशा दूसरे के पैसो में लगी रहेगी।
हर इंसान में अनोखी क्षमताये होती है कुछ लोग ये बात समझ जाते है और दूसरे की सफलता को देख नहीं जलते है तो कुछ खुद कुछ न करके बस दूसरों पर निर्भर रहते है। हर इंसान को वक़्त रहते अपनी क्षमताओं को जगाना होगा जिससे मरते समय उसे लगे मैंने अपना जीवन पूर्ण तरीके से जिया और जीवन की अंतिम सांस भी वो चैन से ले। । दोस्तों एक दिन हम सबको यहाँ से जाना है कोई भी अमर नहीं है अगर अमर होना ही है तो यहाँ कुछ अच्छा बोकर जाओ।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
मेहनत करने वालो से,
पैसो में मोल भाव क्या करना??
भीख मांगते लोगो को पैसा देकर,
उनकी क्षमता का अपमान न करना।
किसी को यूँ ही कुछ दे देना,
उसके आलस को बढ़ाती है।
मेहनत की राह में चल कर,
सबकी गरीबी अपने दम पर ही मिट जाती है।
देखा है कई लोगो को, खुदको यूँ ही बर्बाद करते हुये।
इसलिए शायद ये कवियत्री इतना कुछ लिख पाती है।
अपनी क्षमताओं से करी छेड़खानी,
अक्सर सबको महंगी पड़ जाती है।
दिल से करी सच्ची मेहनत,
अक्सर जीवन में, सुख शांति के रूप में आती है।
इतनी सीधी सी बात,
सबको आसानी से समझ में नहीं आती है??
क्योंकि लालच की आड़ में,
सबकी नज़रे दूसरे के कमाये, मेहनत के धन पर टिक जाती है।
तबाह करके खुदको, प्राणी की अंतिम सांस भी निकल जाती है।
अपनी ही गलत सोच की आड़ में,
बहुतों की कीमती ज़िन्दगी भी यूँ ही ख़त्म हो जाती है।
धन्यवाद