प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को सच समझने की प्रेरणा दे रही है। वह कहती है कि इंसान बड़े-बड़े सपने तो सजा लेता है लेकिन जब मेहनत करने की बारी आती है तो वह मेहनत करना नहीं चाहता। डॉ अब्दुल कलाम कहते थे, अगर सूर्य की तरह चमकना है तो सूर्य की भांति जलना भी होगा। कवियत्री कहती है कि जिस दिन सब अपना साथ देने लगेंगे उस दिन से ये दुनियाँ भी तुम्हारा साथ देगी।
वह कहती है कि सच्चा साथी वो नहीं जो बस साथ निभाने का ढोंग करे साथी वो है जो हर परिस्थिति में अपने साथी का साथ न छोड़े और ऐसा व्यक्ति ही सब के लिए उदाहरण बन जाता है। अंत में कवियत्री यह कहती है कि कभी अच्छा या महान बनने का ढोंग मत करो क्योंकि सच कभी नहीं छुपता सबकी असलियत एक न एक दिन सबके सामने आ ही जाती है।इसलिए उतना ही बताओ जितना तुमने सच में पाया है यही एक मात्र सच्चे गुरु की निशानी है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
वो सूर्य की भांति प्रतापी नहीं, जिसमे जलने की आग नहीं।
निर्भर होकर किसी पर, मिलता किसी का साथ नहीं।
जिस दिन खुदसे जलना सीख जाओगे।
अपना ही नहीं, दूसरों का साथ भी तुम पाओगे।
वो सच्चा साथी नहीं जिसमे साथ निभाने की आग नहीं।
अपने को कहता जो बस नाम का अपना,
उसके व्यवहार में अपनों को जीतने की बात नहीं।
जिस दिन दिखावे को हटा कर, सच में साथ निभाओगे।
अपनों की ही नहीं, उस दिन इस जग की नज़रो में भी, तुम ऊचे उठ जाओगे।
वो सच्चा गुरु नहीं जिसमे खुदको संभालने की आग नहीं।
करने को जो करता अच्छी बातें, पर व्यवहार में उन बातो का नामो-निशान नहीं।
उतना ही बताना जितना सच में तुमने पाया है।
पवित्र चोले की आड़ में, बहुत से लोगो ने, अपना सही रूप नहीं दिखाया है।
धन्यवाद