भिलाई : दुर्ग जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में महिला पुलिस स्वयं सेवक के पदों पर भर्ती किए गए महिलाओं के लिए 27 एवं 28 फरवरी को दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है । यह सेक्टर-01 भिलाई स्थित नेहरू सांस्कृतिक भवन में प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा ।
महिला पुलिस स्वयं सेवक में आमद दे चुके महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे । साथ हीं कर्तव्यस्थ किए ऐसे महिलाएं जो किसी कारणवश महिला पुलिस स्वयं सेवक में आमद नहीं दे पाए हैं, वे भी प्रशिक्षण स्थल पर आमद देकर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं ।
“छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बहुल राज्य है, जहाँ आदिवासियों की अपनी संस्कृति, अन्य से विलग है । वहीं पर, कुछ ऐसी परंपरागत खान-पान, जैसे आदिवासी समुदाय द्वारा हाथ से बनाई जाने वाली नशीली पेय पदार्थ, जो एक रुप में इस अंचल से बाहर भी, छत्तीसगढ़ी संस्कृति में समा गई है । जो आम-जन- मानस को वीभत्स नजर ही आती है ।
राज्य में शराब की सामाजिक बुराई के खिलाफ जन-जागरण में महिलाओं की भूमिका की विशेष रूप से सराहना की जाती रही है ।
“भारत माता वाहिनी” और “महिला कमाण्डों” में शामिल महिलाओं ने छत्तीसगढ़ के माहौल को कुछ इस तरह बदल दिया है कि, अब कोचिए और शराबी दोनों किस्म के लोग घर से निकलने में डरने लगे हैं ।
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ये महिला शक्ति का ही कमाल है कि प्रदेश में अवैध शराब की रोकथाम की दिशा में कोचिया बंदी को अच्छी सफलता मिली है । दुर्घटनाओं में कमी आई है ।”
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा गत 8 फरवरी को, जिला मुख्यालय दुर्ग में महिला पुलिस स्वयं सेविका योजना ’चेतना’ के शुभारंभ, समारोह पूर्वक हुआ था ।
उन्होंने इस योजना की स्मारिका का भी विमोचन किया ।
उल्लेखनीय है कि इस योजना के लिए छत्तीसगढ़ के “दुर्ग” और “कोरिया” ’बैकुण्ठपुर” जिलों को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है । चयनित स्वयं सेविकाओं को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा ।
दोनों जिलों में 9 हजार से ज्यादा महिला पुलिस स्वयं सेविकाओं को तैनात किया जाएगा । इनमें से पांच हजार से ज्यादा महिलाएं दुर्ग जिले की होंगी । यह देश में अपने किस्म की अनोखी योजना है ।
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महिला पुलिस स्वयं सेविकाओं के हाथों में मोबाइल फोन भी होगा, जिसके जरिए वे अपने जिले के मंत्री, सांसद और पुलिस अधीक्षक से भी महिलाओं की समस्याओं के बारे में सीधे बात कर सकेंगी ।
आज छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से राज्य में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर सहित कुपोषण की दर में भी काफी कमी आई है । महिला पुलिस स्वयं सेविकाओं को यह भी देखना होगा कि कोई भी जरूरतमंद महिला इलाज से वंचित न रह जाए ।
इस तरह, छत्तीसगढ़ में महिलाओं के स्व-सहायता समूह के माध्यम से शुरू हुई, संगठन से स्वयंसेवी बनने का सपना पूरा किया है ।
“आज से लगभग 10 साल पहले, छत्तीसगढ़ के छोटे से कस्बे गुण्डरदेही में “महिला-कमांडो” की नींव रखी गई थी, यह स्वयंसेवी महिलाओं का ही रूप था । जिसे एक स्वयंसेवी संस्था “सहयोगी जन-कल्याण समीति” के माध्यम से संचालित किया जाता रहा ।
जो गुण्डरदेही से निकल कर ब्लॉक के 163 ग्रामों में, याद में पूरे दुर्ग जिले में इसका प्रसार हुआ । यह बात राज्य सरकार के संज्ञान में आई, और आज पूरे राज्य में इसे लागू कर दिया गया है ।
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“महिला-कमांडो” की ही सफलता थी कि, इसी स्वयंसेवी संगठन, सहयोगी जन-कल्याण समीति के अध्यक्ष श्रीमती शमशाद बेगम को वर्ष 2012 को भारत सरकार ने “पद्म-श्री” से सम्मानित भी किया ।
[रिपोर्ट – घनश्याम जी. बैरागी]