हर बुराई में कुछ अच्छा छुपा होता है।

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को एक गहरी बात समझाने की कोशिश कर रही है। वह कहती है कि समुन्दर में डूबता हुये इंसान का सही गुरु उसकी तेज़ लहरें होती है जो इंसान को संभलने नहीं देती उसकी बार-बार परीक्षा लेकर उसे अपनी चपेट में ले लेती है लेकिन अगर मनुष्य उन लहरों से निडर होकर लड़े तो वही लहरें उसे तट तक पहुँचा देती है। इस बात को आप ऐसे समझे हम सब के जीवन में कोई न कोई ऐसा इंसान ज़रूर होता है जो बिना गलती के भी हमे बहुत दुखी करता है हमे नहीं समझता हमारे लिए गलत बोलता है। सच में देखा जाये तो वही हमारा गुरु है वो हमे मज़बूत बनाता है। लेकिन ये बात हम गुस्से में नहीं समझ पाते और हमारे मन में उसके प्रति बस बुरा ही आता है। अच्छे इंसान के पास अच्छाई का शस्त्र होता है वह बस उसे ही उपयोग में लाये। अच्छे को बुरा बनकर कुछ नहीं मिलता। महान पुरुष आजीवन अपनी अच्छाई को कायम रखते है। अपनी अच्छाई से बुराई पर विजय पाते है।याद रहे ईश्वर भी उन्ही का साथ देते है जो अपना साथ देते है। खुद खाली बैठ किसी दूसरे से अपने काम की उम्मीद न करना।

Good in Evil

अब आप इस कविता का आनंद ले।

हर कर्म, धर्म समझ कर करना, आसान नहीं होता।
मज़बूत से मज़बूत, इंसान भी,तूफानों के बीच में, खुदको खोता।
समुंदर की लहरों जब उसे अपने आगोश में लेती है।
हर एक सांस की परीक्षा, फिर कुदरत भी हमसे लेती है।

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तड़पाकर कुछ पल को, फिर किनारा भी वोही दिखाती है।
अपने गर्भ में तड़पते हर इंसान को, एक ही ज्ञान वो बताती है।
खुदसे डूबो, खुदसे उभरो,वो तरस किसी पर नहीं खाती है।
अपनी चपेट में लेकर वो हर प्राणी को और मज़बूत बनाती है।

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क्योंकि जीवन में तूफानों का सफर, तो हर कोई अकेले ही करता है।
कोई तुझे बिना कुछ करे ही बचाले, ऐसी उम्मीद भी तू कैसे किसी से करता है?
बचाने तभी तो कोई आयेगा,
जब पहले तू अपने हाथ-पैर चलायेगा।
तेरे अपने हौसले को देख फिर इस दुनियाँ को भी करार आयेगा।
अपनी मेहनत का लुफ्त, अकेला फिर तू ही उठायेगा।
मज़बूत बन कर, फिर जीवन में तू कभी किसी को नहीं सतायेगा।

धन्यवाद

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