बलात्कार की वारदातों के खिलाफ राजगढ़ में हुआ विरोध प्रदर्शन

राजगढ़ (सादुलपुर) में 16 अप्रेल को सर्व समाज की और से देश में बढ़ रही बलात्कार की वारदातों तथा मासूम बालिकाओं के साथ हो रहे अमानुषिक कृत्यों के विरोध में प्रदर्शन हुआ। पूर्व में घोषित कार्यक्रमानुसार मध्यान्ह पूर्व 11 बजे प्रदर्शनकारी शीतला बाजार में एकत्रित हो गए, जहां से जहां से राष्ट्रीय तिरंगे के साथ विरोध जुलुस शुरू हुआ। मुख्य बाजार से होते हुए जुलुय मिनी सचिवालय पहूंचा, मगर प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने प्रवेश द्वार पर ही रोक दिया। नारेबाजी करते जोशीले युवाओं ने एकबारगी गेट पर दबाव बना कर अन्दर भी घुसने का प्रयास किया, मगर उनके साथ आए अन्य लोगों ने ही सभी को नियंत्रित कर लिया।बलात्कार की वारदातों के खिलाफ राजगढ़ में हुआ विरोध प्रदर्शनउपखण्ड अधिकारी की अनुपस्थिति में तहसीलदार प्रदीप चाहर ने मिनि सचिवालय के प्रवेश द्वार के निकट पहूंच कर ज्ञापन लिया। राष्ट्रपति के नाम के उक्त ज्ञापन में देश में बढ रही बलात्कार एवं सामूहिक बलातकार की घटनाओं को गंभीर चिन्तनीय बताते हुए कठूआ, बिहार, सूरत तथा उन्नाव की घटनाओं को कानून व्यवस्था के लिए खुली चुनौती बताया गया है।

ज्ञापन में लिखा गया है कि एक तरफ बेटी बचाओ का नारा सरकार दे रही हे तथा उसी सरकार के शासन में मासूम बालिकाओं के साथ अमानूषिक कृत्य करने के बाद हत्याएं की जा रही है। उन्नाव में तो भाजपा विधायक आरोपी है, जहां पिड़ित युवती के पिता की जेल में संदिग्ध मौत हो गई है।

सूरत तथा कठूआ की 8 एवं 11 साल की बच्चियों के रेप एवं हत्या प्रकरण को घोर शर्मनाक बताते हुए लिखा गया है कि सूरत में मिले बालिका के शव पर 80 घाव के निशान है। ऐसी घटनाएं क्रूरता की सारी हदें पार करने वाली है।

ज्ञापन में मांग की गई है कि बलात्कार के आरोपियों के लिए फांसी की सजा के प्रावधान के साथ साथ कानून में भी आवश्यक संशोधन किए जाएं। ऐसे मामलों के लिए फास्ट ट्रेक कोर्ट स्थापित की जाए तथा प्रत्येक न्यायालय में ऐसे संगीन मामलों के लिए सुनवाई और निर्णय की समय सीमा भी तय की जावे, ताकि कानून की पेचिदगियों एवं लचीले कानूनों का सहारा लेकर ऐसे कुकृत्य करने वाले किसी भी प्रकार का लाभ नहीं उठा सकें।

ज्ञापन देने वालों में राहूल पारीक, बासित अली, जाफर अली नारनौली, देव गोदारा, नशीम कुरेशी, अकरम खां, सोयब दायमा, अजीज खिंची, जयप्रकाश, हैदर अली आदि सहित दो मासूम बच्चे भी शामिल थे।

[स्रोत- विनोद रुलानिया]

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