प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि ईश्वर की दी हुई किताबे इतनी आसानी से समझ में नहीं आती और हर इंसान के जीवन में एक वक़्त आता है जब वो उन बातो को उसी तरह समझ पाता है जैसा ईश्वर हमे बताना चाहते है क्योंकि अपने हिसाब से जीना तो आसान है लेकिन जैसा ईश्वर हमसे चाहते है वैसे जीना बहुत ही मुश्किल होता है।
कवियत्री अपनी कविता के माध्यम से हर दुखी मन को सुख पहुँचाना चाहती है लेकिन ये संभव तभी है जब हम वैसे ही जिये जैसे मानवता हमे सिखाती है। याद रखना दोस्तों अपनी गलतियों को लेके बैठे रहना भी एक गलती है खुदको कदम-कदम पर माफ़ कर बस खुदको एक अच्छा इंसान बनाओ ये बदलाव एक दिन में नहीं आयेगा नियंत्रण अभ्यास से ये सब संभव है। ये एक जीवन का गहरा और कड़वा सच है कि ईश्वर अपनी बातें समझाने के लिए पहले अपने सच्चे भक्तो की कड़ी परीक्षा लेते है तभी उनकी बातें हमे सही और गहरे तरीके से समझ में आती है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
भर जाता है ये मन भावनाओ से,
फिर भी कभी कुछ कहकर,
तो कभी न कुछ कह कर भी,
मैं अपने भाव जताती हूँ।
अपना हो या प्यारा,
दुखी दिल की पीड़ा को मैं यूही समझ जाती हूँ।
समझ कर किसीके ज़ख्मो को,
मैं उन में उलझ जाती हूँ।
फिर उन ज़ख्मो पर मरहम,
मैं अपनी इन कविताओं के ज़रिये लगाती हूँ।
जो समझे इन्हे, ये उनका सहारा बन जाती है।
ना समझ के, मेरी ये गहरी बातें ऊपर से निकल जाती है।
हर ना समझ में भी समझ,
एक दिन ज़रूर आती है।
जीवन की ठोकरे,
जब इंसान के लिए एक पहेली बन जाती है।
ढूंढ़ता है फिर वो अपने सारे सवालो के जवाब,
तभी तो खुलती, समझ भी आती,
ईश्वर की दी हुई हर अनोखी किताब।
धन्यवाद