प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि एक ही बात के कई पहलू होते है और लोग अपनी अपनी समझ से वही बात अपने अपने तरीके से समझते है और बहुत ही कम लोग होते है जो बुराई में भी अच्छाई को ढूंढ़ले। हर इंसान का माहौल एक सा नहीं होता इसलिए विचार भी सबके एक से नहीं होते।
कोई जीवन की गहराई को जल्दी समझ लेता है तो किसी की आधी उम्र भी निकल जाती है फिर भी वो जीवन की गहराई को समझ नहीं पाता। दोस्तों याद रखना इस दुनियाँ में कोई भी इंसान ऐसा नहीं जिसे सब कुछ आता हो हमे जीवन में एक दूसरे की ज़रूरत पड़ती है लेकिन हम सब के अंदर ही एक अनोखा खज़ाना छुपा हुआ है जिसे ढूंढने के लिए हमे अपने अंदर की गहराई को पढ़ना होगा खुदके संग बैठ कर उस अनमोल ख़ज़ाने की खोज करनी होगी। बस कभी दूसरे की क्षमताओं को देख उससे जलना मत क्योंकि तुम्हारे अंदर भी कुछ खास है जो तुम्हे दूसरे से अलग बनाता है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
एक ही बात सबको अलग-अलग तरीके से समझमे आती है??
कोई समझता यूही, तो किसी की तो आधी उम्र ही निकल जाती है।
ये देखना भी ज़रूरी है, कौन कैसे माहौल से पनप के आया है??
उसकी विचार धाराओं में, कैसे विचारो का साया है??
कोई अपने आप में श्रेष्ठ नहीं, सबमे ही कोई न कोई कमी तो होती है।
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अपनी कमी को देख, तू क्यों खुदको कोस कर रोती है।
समुंदर की गहराइयो में ही छुपा सीप में मोती है।
जिसको खोज पाने की कला सबमे नहीं होती है।
उतरजा तू भी अपने ही मन की गहराइयो में.
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खुदको भूल न जाना तू इस दुनियाँ की चका चौंद की शहनाइयों में।
दो पल बैठ और खुदसे बात तू करले।
अपने जीवन के सूखे तलाब में पानी, तू खुदके दम पर भरले।
धन्यवाद