महसूस करो हवाओं में छुपे ज्ञान को

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को हवाओ में छुपे ज्ञान को समझने की प्रेरणा दे रही है वह सोचती है अगर मानव चाहे तो सृष्टि में पनपी हर छोटेसे -छोटी चीज़ से ज्ञान ले सकता है क्योंकि हर चींज ही तो यहाँ हमे कुछ न कुछ सिखाती है और हर जीव यहाँ दुख और सुख दोनों का आनंद लेता है हम मानव अपना दर्द बता देते है और बेज़ुबान जानवर या पक्षी या ये सृष्टि भी इतना दर्द सहकर भी अपनी पीड़ा बता नहीं पाती।

hidden knowledge

याद रखना दोस्तों हम सब यहाँ बस कुछ ही पल के मेहमान है किसीको नहीं पता आने वाले कल में क्या लिखा है इसलिए बस आज में अच्छा करने की सोचो और अगर किसी का भला नहीं होता तो बुरा भी मत करो क्योंकि ये स्वाभाविक है की जैसे हमे सब पसंद नहीं करते उसी तरह हम भी सबको पसंद नहीं करते विचारों में भिन्नता तो होती है।

अब आप इस कविता का आनंद ले

महसूस करो हवाओ में छुपे ज्ञान को,
हर चीज़ ही तो तुमसे यहाँ कुछ कहती है।
दूसरे के गुणों को न समझ,
तू बस अपने में ही क्यों रहती है?
कर सृष्टि के कर्ण-कर्ण से बातें,
देख सृष्टि भी तो, यहाँ कितना कुछ सहती है।
कोई करता इसे गंदा,
तो कोई इसे सवारना चाहता है।
उसके दर्द का बोझ,
यहाँ हर किसी को कहाँ समझमे आता है।
किसी को एक क्षण में,
तो किसी को इस बात की गहराई का पता,
पूरा जीवन निकलने तक भी समझ नहीं आता है।
ए मानव तू क्यों अपने गुणों पर इतराता है??
अमीर हो या गरीब,
एक दिन हर इंसान ही यहाँ मिट्टी में मिल जाता है।

धन्यवाद

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