प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि जीवन में कड़वे अनुभव होने बहुत ही ज़रूरी है वरना इंसान अहम के रास्ते पर निकल जाता है। उदाहरण के तौर पर हम लोहे को ले सकते है, लोहा चाहे कितना भी कड़क क्यों न हो लेकिन अग्नि की तपन से वो भी पिघल जाता है इसलिए कभी खुद पर घमंड मत करना क्योंकि घमंडी का घमंड चूर करने के लिए ईश्वर ने और भी बहुत सी चीज़ो की रचना की है जिसका घमंडी को आभास तक नहीं है।
याद रखना दोस्तों हर सफल व्यक्ति ने बहुत से दुखो से ख़ुशी से लड़कर सफलता पाई है उनके जीवन में भी उनसे बहुत सी गलत चीज़े टकराई है लेकिन उनको नज़रअंदाज़ करके वह अपने पथ पर बस आगे बढ़ते ही गये फिर जाकर वो सफल बने क्योंकि कोई भी इंसान पैदाइशी महान नहीं होता।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
जीवन में कड़वी चीज़ो का अनुभव होना भी ज़रूरी है।
इस बात पर मेरी ही नहीं, हर सफल व्यक्ति की मंज़ूरी है।
क्योंकि ज्वाले की अग्नि के तपन से, लोहा भी पिघल जाता है।
अपने अस्तित्व को मिटता देख,फिर उसको भी समझ आजाता है।
न जाने किस बात की अकड़ थी मुझमे,
अहम के परदे के रहते, मुझे कुछ न दिखा तुझमे,
मैं था अगर लोहा, तो तू भी तो जलता अंगारा है।
तेरे ज्वाले की तपन से, मिला न जाने कितनो को सहारा है।
तुझे कुछ न समझ कर, ये कैसी भूल करदी मैंने,
फिर खाली बैठ, मैं खुद से ही लगा ये कहने।
उस ज्वाले ने मेरा घमंड तोड़ा है।
मुझे सिखा कर सबक, मुझे सही रास्ते पर मोड़ा है।
उस तपन की तारीफ में अब क्या क्या लिखू,
क्योंकि जितना भी लिखू वो थोड़ा है।
धन्यवाद।