प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को अपनी समझ बढ़ाने की प्रेरणा दे रही है। वह कहती है कि इंसान को कभी भी अपनी क्षमता पर शक नहीं करना चाहिये. इस दुनियाँ में तुम्हें समझने वाले भले ही बहुत कम लोग है मगर कम से कम हर इंसान अपनी कदर खुद तो करे क्योंकि दूसरा तुम्हारी पीड़ा केवल सुन सकता है महसूस तो सिर्फ तुम्हें ही होगी। हर इंसान को पता है हम अपनी किस्मत खुद बनाते है फिर किसी दूसरे को दोष देना गलत है।वक़्त पर अपना काम पूरा न कर फिर जब एक साथ काम आता है तो इंसान बौखला जाता है और अपनी परेशानियों का ज़िम्मेदार वह दूसरे को मानता है। कभी-कभी हम खुद से या दूसरे से वादे करते है लेकिन फिर खुद की ही कही बात पर नहीं चलते। ऐसा क्यों होता है? क्योंकि ये मन बहुत ही चंचल है लेकिन इतना तो हम खुद से वादा कर ही सकते है कि जो गलती आज हुई वो गलती फिर कभी नहीं दोहरायेंगे। धीरे-धीरे करके पहले खुदको बदलो, अगर खुदको सही दिशा में सही वक़्त पर नहीं बदल पाये तो फिर अपनी किस्मत को मत कोसना।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
अपनी ही क्षमता पर शक करना कोई अच्छी बात नहीं,
दूसरे से करोगे जो उम्मीद, फिर तुम्हारी कोई औकात नहीं।
हो अगर बेहतर, तो शानदार बनकर दिखाओ।
अपनी सफलता की उम्मीद किसी दूसरे से मत लगाओ।
अपनी ही किस्मत को कोसना, कोई अच्छी बात नहीं,
गवाएं है पल जिंदगी के तुमने, फिर तुम्हारे दुखो के पीछे किसी और का हाथ नहीं।
समझ मे आई ये बात ज़रा भी, तो अपने आलस को तोड़ के दिखाओ।
खाली बैठ हमेशा, फिर यू ज़िन्दगी से सफलता की उम्मीद न लगाओ।
अपनी ही कही बात पर न चलना, कोई अच्छी बात नहीं।
ऐसे काम करने वाले को, मिलता किसी का साथ नहीं।
कहा है अगर कुछ, तो करके भी दिखाओ।
अपनी कही बात पर, दूसरे से उम्मीद न लगाओ।
तुम्हें देख, फिर ये दुनियाँ भी तुम्हारे पीछे भागेगी ।
इस राह की मंज़िल में, हर एक की किस्मत जागेगी।