कायरता की दास्तां कुछ यूँ बयां करते वो पल
बहते हुए से आंसू और रक्त-लिप्त शव
कुछ क्षण की कहानी सुनाते , वे सूखे हुए लव
कायरता की दस्ता कुछ यूँ बयां करते वो पल
जहा नफरत...
सुकून-ए-इंसानियत
ज़िंदा है हम पर मौत का इंतज़ार हम करते से हैं
गुजारते से हैं जिंदगी, जीते नहीं
वक़्त बदलता है, ऋतुएँ गुज़र सी रही है
पर हम...
बरसे अब तो बादल
हुई जब काले घने बादलो में गड़गड़ाहट,
घोसलो में जाते पंछियों में हुई चहचहाहट।
देख कड़कती आसमानी बिजली की चमचमाहट,
कच्ची छत, मेहनत-कश गरीब को हुई घबराहट।
बोई...
बचपन
याद है वो रंगीला बचपन
हर चीज़ से करते शरारत पलपल,
कोई चिंता नहीं थी ना किसी का ध्यान,
जो करना वो करते थे वो सरेआम,
याद है...
परिवार का साथ
प्रस्तुत पक्तियों में कवियत्री समाज को परिवार का महत्व समझा रही हैं। वह समाज को इन पक्तियों द्वारा ये समझाना चाहतीं हैं कि परिवार...
हर इंसान अकेला ही तो होता है
प्रस्तुत पंक्तियों में कवयत्री समाज को अपना साथ न छोड़ने की प्रेरणा दे रही है वह चाहती है हर इंसान अपना दोस्त बन कर...
मुझमे सब्र नहीं
जानता है दिल कि तुम पास हो मेरे,
पर मुझमे सब्र नहीं,
है लाखो इल्म-ओ-नुख्स तुझमे,
उनसे मुझपर कोई फर्क नहीं.
लिखा नहीं अपनी ख़ुशी के लिए,
ये मालूम है तुझे,
क्योकि...
बिन प्रयत्न सब व्यर्थ
देखो बढ़कर ज़रा, नील गगन में उड़कर
कब तक निर-चेतना असमंजित रहेगी
उज्जवल भविष्य की कामना मात्र
बिन प्रयत्न सब व्यर्थ रहेगी
हांथो पे हाँथ रखे जीवन नहीं...
धोखे और आत्मविश्वास
प्रस्तुत पक्तियों में, कवियत्री दुनियाँ को खुदपर विश्वास करने की प्रेरणा दे रही है। अपनी कविता के ज़रिये वो दुनियाँ को बताना चाहती हैं...
ले चला हुजूम उसे दफ़नाने को
कर रुख्सत उसकी हर याद-ए-तराने को,
ले चला हुजूम, उसे दफ़नाने को.
रख दिल-ए-बेशौ़ख पर हाथ तू ज़रा,
जो बयान करता है दर्द-ए-रुख्सत को,
ले चला हुजूम, उसे...

























































