तुमसे जो ऑंखें थी
तुमसे जो ऑंखें थी,
वो बस रही है यही.
तुम यु ही ज़िंदा हो ,
इन् लफ़्ज़ों में कही .
होती जो तुमसे थी,
बातें वो ही, तो थी
अब...
नारी की शक्ति की भी प्रशंसा करो
प्रस्तुत पक्तियों में कवियत्री समाज से याचना कर रही है की नारी को उसका सम्मान वापस दिया जाये, नारी जो एक शक्ति हैं जो...
एग्जाम्स का समां
एग्जाम्स आए तो सब स्टूडेंट्स घबराए,
घर पर अब परिवार भी हो गए पराए
दिमाग में अब पढ़ाई के चिट्ठेे फहराएं।
गॉसिप, मूवीज़ बंद हो गई,
किताबों के...
धोखे और आत्मविश्वास
प्रस्तुत पक्तियों में, कवियत्री दुनियाँ को खुदपर विश्वास करने की प्रेरणा दे रही है। अपनी कविता के ज़रिये वो दुनियाँ को बताना चाहती हैं...
घमंड ना कर
इन पक्तियों के ज़रिये कवियत्री दुनियाँ को घमंड ना करने का उपदेश दे रही हैं। वह चाहतीं है कि दुनियाँ ये समझे की समय...
अर्जी ए खुदाया
खुदा की खुदाई ना समझ पाए,
ये मेरा है भी या नहीं?
अब तक समझ न पाए।
बना कर रास्ते मेरे लिए,
क्यों खुद ही मिटा देता है?
अब...
कायरता की दास्तां कुछ यूँ बयां करते वो पल
बहते हुए से आंसू और रक्त-लिप्त शव
कुछ क्षण की कहानी सुनाते , वे सूखे हुए लव
कायरता की दस्ता कुछ यूँ बयां करते वो पल
जहा नफरत...
पथिक चला पश्चिम की ओर
अम्बर हो चला वर्ण रक्तिम
क्षितिज पर है बिखरी रश्मि अंतिम
अग्रसर अपने गंतव्य को
पूर्ण कर अपने कर्त्तव्य को
तिमिरमान कर नभ का छोर
पथिक चला पश्चिम की...
दुविधा – मेरी जिंदगी
ज़िन्दगी मेरी एक सूखे पत्ते की तरह,
कभी इस पल बैठी है सोच में,
कभी उस पल अपनी उम्मीदों में खोई,
ना मिला इसको अपना मुक्कदर कोई।
इसी...
गरीब और अपराध
वक़्त थमता नहीं कभी किसी के लिए,
समझ नहीं आता अब ज़िन्दगी को कैसे जिएं,
एक पल में हंसना, एक पल में रोना,
वक़्त ही सिखाता है,...