प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि एक इंसान को सफलता की शिखर पर पहुँचने में बहुत मेहनत लगती है और जब इंसान मेहनत करके खिलने की कोशिश कर रहा होता है तो बहुत से लोग उसका हौसला तोड़ने की कोशिश करते है फिर जब सबकी परवाह किये बगैर वो कुछ बड़ा करके दिखाता है फिर उसी से प्रेरणा ले कर लोग अपना जीवन भी सफल बनाने की कोशिश करते है और फिर जब उनके साथ भी वही सब दोहराता है फिर उन्हें भी अपनी गलतियों पर पछतावा होता है इसलिए मेहनत की राह में सबका हौसला बढ़ाना चाहिये।
अब आप इस कविता का आनंद ले
खिलता फूल तो सबको अच्छा लगता है।
उसकी गहराई को भाप कर,
क्या कोई किसी को ये बता सकता है?
उसको ठीक से खिलाने में,
कितनो ने अपना कीमती वक़्त बिताया।
उसके खिलने के अंतर्गत,
उसे ना जाने कितनो ने सताया।
बहुतो को तो उसे खिलने से पहले ही तोड़ने में मज़ा आया।
तो बहुतो ने उसे इस दुनियाँ की बुरी नज़र से बचाया।
इस बात की गहराई का सच भी,
लोगो को तब समझ में आया।
जब उनके घर भी माली शांति का फूल लगाने आया।
खिलते फूल का दर्द फिर जाके उन्हें भी समझ में आया।
कड़ी परिश्रम कर फिर उन्होंने भी,
उस खिलते फूल को बचाया।
धन्यवाद।