इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर उठ रहे सवालों के बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निगम का चुनाव भी मतपत्रों से कराने का किया है. आयोग ने भारत निर्वाचन आयोग से एक दशक पुरानी ईवीएम मशीन लेने से इन्कार कर दिया है. नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों के चुनाव मतपत्रों से कराने का निर्णय पहले ही ले लिया गया था.
तकरीबन पांच वर्ष पहले हुए 630 नगरीय निकाय चुनाव में पहली बार आयोग ने 12 नगर निगम के महापौर व पार्षदों का चुनाव ईवीएम से कराया था. 194 नगर पालिका परिषद व 423 नगर पंचायतों के अध्यक्षों व सदस्यों के चुनाव मतपत्रों के जरिये कराए गए थे. राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल ने बताया कि नगर निगम के चुनाव ईवीएम से कराने के लिए भारत निर्वाचन आयोग से 50 हजार ईवीएम मुहैया कराने का अनुरोध किया गया था.
आयोग ने मध्य प्रदेश से ईवीएम उपलब्ध कराने की बात कही थी. चूंकि जून में यहां निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं इसलिए ईवीएम मांगने पर मध्य प्रदेश ने बताया कि वे महाराष्ट्र में निकाय चुनाव के लिए दे दी गई. मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी से बात करने पर पता चला कि आयोग के पास नई नहीं बल्कि वर्ष 2006 से पहले की ईवीएम हैं जो कि एक तरह से आउटडेटेट होने से असुरक्षित और कभी भी खराब हो सकती हैं.
राज्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि आधुनिक तकनीक वाली नई ईवीएम के बजाय एक दशक पुरानी ईवीएम लेने से स्पष्ट तौर पर इन्कार करते हुए भारत निर्वाचन आयोग से इस बारे में पत्र भेजने को भी कहा गया है. जब आयोग सबसे बड़े पंचायत चुनाव को मतपत्र के जरिये करा सकता है तब फिर उसे नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों के साथ ही नगर निगम के चुनाव भी मतपत्र से कराने में कोई दिक्कत नहीं है. पिछली बार से पहले तो निकाय चुनाव मतपत्रों के ही जरिये होते रहे हैं.