अपने दुखो को भी सहजता से स्वीकारो

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि अपने दुखो में अपने दुख को कोसो मत क्योंकि जो होता है अच्छे के लिए ही होता है जिसे हम सही वक़्त पर पहचान नहीं पाते लेकिन आगे आने वाले कल में हमे उसकी गहराई का जब पता चलता है फिर हम अपना बीता कल याद करके ये सोचते है की इससे ज़्यादा अच्छा हमारे साथ और कुछ हो ही नहीं सकता था ।

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जिस प्रकार हम सुख में ईश्वर का शुक्रिया करना नहीं भूलते उसी प्रकार दुख में भी ईश्वर का शुक्रिया करना मत भूलना क्योंकि हम इंसान इस मन से उनकी गहराई को पढ़ नहीं पाते। याद रखना दोस्तों शारीरक या मानसिक कष्ट जब इंसान को मिलता है तब ही इंसान खुदसे लड़ना सीखता है तभी ईश्वर को समझने की कथा आरंभ हो जाती है और इंसान को ये समझमे आता है चाहे जीवन में हमे कोई भी धोखा दे लेकिन ईश्वर कभी हमारा साथ नहीं छोड़ते वो हमे दुख का अनुभव भी इसलिए ही कराते है ताकि हम जीवन की गहराई को और गहरे तरीके से समझ पाये।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

एक मुसीबत खत्म नहीं होती की दूसरी आ जाती है।
हिला कर पहले सबको ये शुरू में सबको बड़ा तड़पाती है।
गलत समझ इसे पहले, फिर बाद में इसकी गहराई समझ में आती है।
इसके अस्तित्व से ही तो, इंसान की खुदसे लड़ने की क्षमता और भी बढ़ जाती है।
तो क्या हुआ कुछ पल को अगर हमने पीड़ा झेली।
वो वक़्त भी तो कभी हमारे जीवन में था, जब हर आत्मा आराम से बगिया में खेली।
ए दुख तू भी कितना प्यारा है।
हर सफल व्यक्ति को सफल बनने में सिर्फ तेरा हितो सहारा है।
पर तुझे दुख समझकर, लोग अक्सर दुखी होजाते है।
तुझे कोस, वो तेरे प्रेम को समझ नहीं पाते है।
जिस किसी ने भी तुझे अपना मित्र माना।
उसी व्यक्ति ने जीवन के कई गहरे सत्य को सही तरीके से पहचाना।

धन्यवाद।

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