क्या जीवन के बाद भी कोई जीवन होता है

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री अपने आप से ही ख्यालो में सवाल-जवाब कर रही है। वह खुदसे ये पूछ रही है कि क्या जीवन के बाद भी कोई जीवन होता है? और हम यहाँ अगर है तो क्यों है? और इसके बाद हमे कहाँ जाना है? कवियत्री सोचती है हर इंसान ये जीवन अपनी-अपनी तरह से जीता है। कोई सच बिना जाने ही चला जाता है तो कोई अपना जीवन सही तरीके से जीता है। हर मनुष्य को अगला जन्म भी अपने इस जीवन के कर्म अनुसार ही मिलता है। Life After life

वह सोचती है शायद बस रिश्ते बदल जाते है और हम फिर से यहाँ नये रूप में आते है। जब मनुष्य अपने जीवन का मकसद समझ जाता है तब वह सावधानी पूर्वक जीता है गलत का साथ नहीं देता चाहे फिर उसे किसी अपने के ही खिलाफ क्यों न जाना पड़े। अच्छाई के मार्ग में बूँद-बूँद करके सागर बनता है. कोई तो पहला कदम उठायेगा उसे देख शायद ये जग भी सुधर जायेगा।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

क्या जीवन के बाद भी कोई जीवन होता है ?
पुराने जीवन का ख्याल, क्यों हर किसी को नहीं होता है ?
क्यों कोई बेखबर, तो कोई जीवन के अंत में चैन से सोता है ?
क्यों किसी से उम्मीद कर, बिन वजह तू रोता है ?
किसी के करने से, कभी किसी का पूरा नहीं होता है।

[ये भी पढ़ें : खुश रहने का हक़ हम सबको है]

वक़्त पर हर कोई, अपनी ज़िम्मेदारी नहीं समझता।
इसलिए बिन बात पर, हर कोई किसी से उलझता।
इस जन्म के,कर्म का पोटला ही तो, बस हमारे साथ जाता है।
उन कर्मो के अनुसार ही तो, इंसान अपना दूसरा जन्म पाता है।
रहते है अपने तो अपने साथ ही,
शायद उनसे हमारा बस रिश्ता बदल जाता है।

[ये भी पढ़ें : अभिमानी और स्वाभिमानी]

अपनी गलती का एहसास इंसान को, जब दिल से हो जाता है।
ईश्वर की हर एक बात समझ, फिर वो उसमे खो जाता है।
करता हर कर्म फिर वो अपना ध्यान से,
रखता कहाँ फिर वो बुराई से मतलब,
रहता यही इस दुनियाँ में वो बस अपनी शान से।

धन्यवाद

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.