जब भी होती है बारिश चाहतों की
मेरी जिंदगी की छत टपकती जरूर है,
कोशिश तो बहुत करता हूं कि
इस बारिश से दूर रहूं,
चाहतों को अपनी कुचलने
का दर्द कब तक सहूं,
मतलब के है यार यहां
मतलबी है महबूबा,
आज अगर दिल आन्नद के आसमान पर
तो कल यही दिल गमों के समन्दर में डूबा,
हर कोई बेगाना है, इस गम ऐ जिंदगी में
सिर्फ मतलब का पैमाना है इस जिंदगी में,
हितेश वर्मा, जय हिन्द
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