प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री सबको खुश रहने की सलाह दे रही हैं, वह कहती है कि हमे पहले खुद को खुश करना होगा, तभी हम दूसरों को भी खुश रख सकते हैं। अपनी कविता के ज़रिये वह दुनियाँ को यह बताना चाहती है कि हमारी खुशियों की मंज़िल दूसरों को भी खुश करके मिलेगी, इंसान को अपने हित में सोचना चाहिये ये एक अच्छी बात है परन्तु अगर इंसान अपने हित के चक्कर में दूसरों को नुक्सान पहुचायेगा तो उसे जीवन में सफलता कभी नहीं मिलेगी।
आज कल की दुनियाँ को देख कर कवयित्री ने यह लिखा है कि सब अपना भला चाहने में दूसरों का जाने अनजाने में बुरा कर देते हैं यही एक मात्र कारण है कि जीवन में हर इंसान सफल नहीं हो पता कुछ ही लोग इस बात को समझ पाये, उन लोगों ने न केवल अपना जीवन संवारा बल्कि बहुतों को सही राह दिखाई। इसलिए कवयित्री सबसे याचना कर रही है कि कुछ ऐसा कर जाओ जिससे जग में तुम्हारा नाम हो और दुसरो के लिए भी तुम एक प्रेरणा बन जाओ।
अब आप इस कविता का आनंद ले
हँसो और हँसाओ ,
किसी को दुखी देख,
तुम कभी ना मुस्कुराओ।
हसाने के, किसी को, पैसे नहीं लगते ,
बनके कारण किसी की परेशानियों का,
ऐसे हाल में, हम रह नहीं सकते।
हँसो और हँसाओ,
अपने को थामे, इस दुनियाँ की भीड़ में,
तुम दूसरों की दुनियाँ में भी,
उम्मीद के दिये जलाओ।
हँसो और हँसाओ ,
मनाके रूठी दुनियाँ को,
तुम सब के दिल में,
एक अनोखी जगह बनाओ।
हँसो और हँसाओ,
करके लाखों झूठे वादे,
ऐसा करके,
लाखों का दिल न दुखाओ ।
हँसो और हँसाओ ,
अपने मतलब के आगे,
तुम दुनियाँ की कही अनकही,
तकलीफों को न भूल जाओ।
हँसो और हँसाओ ,
अपनी इच्छाओं के खातिर,
दूसरों के रास्ते का कांटा मत बनजाओ।
हँसो और हँसाओ ,
अपनी मेहनत से,
न केवल अपने रास्ते संवार के,
दूसरों के सपनों की भी सड़क बनाओ।
हँसो और हँसाओ,
इस जग में फैला कर शांति,
शांति से अंत में,
तुम भी सो जाओ।
हँसो और हँसाओ
हँसो और हँसाओ
विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com.
प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता की सभी कविताएं पढ़ने के लिए यह क्लिक करे