मुस्लिम परिवार के दुःख में शरीक हुए हिन्दुओ ने नही मनाया होली का त्यौहार

जहा कुछ लोग हिन्दू मुस्लिम तकरार करवाने में नही चूकते वही राजगढ़ (सादुलपुर) तहसील के गांव लाखलाण बड़ी के गांव में होली के पर्व पर ऐकता की मिसाल कायम की एवम इंसानियत जिंदा होने का सबूत दिया। एक मिली जानकारी के अनुसार गांव के एक मुस्लिम परिवार में हुई मौत को देखते हुए पूरे ग्रामवासियों ने सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम करते हुए होली पर्व नहीं मनाया।

मुस्लिम परिवार के दुःख में शरीक हुए हिन्दुओ ने नही मनाया होली का त्यौहार

2 मार्च, धुलंडी को गांव के 21 वर्षीय युवक संजय खान की सादुलपुर में एक हादसे में मौत हो गई थी। युवक का अंतिम संस्कार करने के बाद ग्रामीण जब वापस घर लौटे, तो मृतक के दादा करीब सौ वर्षीय लखे खां का इंतकाल हो गया। एक ही परिवार में दो व्यक्तियों की हुई मौत के बाद ग्रामीणों ने होली का पर्व नहीं मनाने का निर्णय कर लिया। हालांकि इस गांव में मुस्लिम परिवार गिनती के ही हैं,

अधिकांश आबादी हिंदुओं की है, फिर भी दु:ख के समय में पूरा गांव पीडि़त परिवार के साथ रहा। मुस्लिम परिवार के गम में शामिल होते हुए किसी भी ग्रामीण ने रंग-गुलाल नहीं खेला। सरपंच संतकुमार सिंह एवं एडवोकेट अशोक सिंह ने बताया कि ग्रामीणों ने मानवीय संवेदना एवं भाईचारे व एकता के की भावना का संदेश दिया है तथा राजनीति से परे रह कर राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों को एक प्रेरणा भी देने का प्रयास किया है।

साथ ही उन्होंने कहा कि हम हिन्दू मुस्लिम होने से पहले एक इंसान है,और एक इंसान दूसरे इंसान का दुःख सुख का साथी होता है। इसलिए हमने इस परिवार की दुःख की घड़ी में रंग गुलाल उछाल कर ख़ुशी जाहिर करने से ज्यादा उस परिवार के साथ इस दुःख की घड़ी में खड़ा होना जायज़ समझा। और हम गांव वालों ने इस होली के पर्व को न मनाने का फैसला किया।

[स्रोत- विनोद रुलानिया]

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