प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि इंसान सफलता पाकर अपनी सही राह भटक जाते है लेकिन जो लोग सफल होकर भी इंसानियत को नहीं भूलते उनका नाम इस दुनियाँ में युगो युगो तक जगमगाता है। दोस्तों ईश्वर हमारी कड़ी परीक्षा लेकर हमे सफल बनाते है फिर जब उस सफलता की आड़ में हम घमंड कर दूसरों को नुकसान पहुंचाते है तब वही इंसान सफल होकर भी सफल नहीं कहलाता।
इंसान अपने दम पर ही खुशियों का आशियाना खड़ा करता है और अपनी मूर्खता के कारण ही वो उसे खो भी देता है इसलिए आजीवन सही मार्ग पर चलना हर एक के बस की बात नहीं अच्छाई को कायम रखने के लिए कई बार अच्छे को भी बुरा बनकर खून का घूट पीना पड़ता है क्योंकि बुरे को अच्छा और अच्छे को बुरा एक दम पसंद नहीं आता इतना आसान नहीं बुराई में भी अच्छाई को ढूंढ पाना और जो लोग इस क्रिया को समझकर अपने जीवन में उतारने लगते है वह युगो युगो तक सफल ही बनते रहते है। याद रखना दोस्तों हमारे अंदर बदलाव धीरे-धीरे ही आता है इस दुनियाँ की भीड़ में अच्छा कभी बुरा तो बुरा कभी अच्छा बन जाता है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
आज मेहनत कर सफलता मिली,
कल वो छिन भी सकती है.
दूसरे की सफलता अपने आगे,
सबको पहले कम ही क्यों लगती है??
फिर वक़्त सिखाता उस सफल इंसान को,
इस छोटी सी ज़िन्दगी में रहने वाले,
उस कुछ पल के मेहमान को,
सफल बनकर भी तुम अपनी,
मानवता ना खोना.
अपने ही बोये काटे की चुभन से तुम,
पछतावा कर फिर बाद में न रोना.
सफल बनकर दूसरे के लिए,
एक आदर्श ही बनना.
उस सफलता की होड़ में,
तुम कभी ना बनना.
जो इतराये तो वो सफलता ही,
दुखदाई बन जाती है.
यू ही नहीं सीधे और सच्चे इंसान की किस्मत,
युगो युगो तक जगमगाती है.
पहले सीखो तो सही कैसे जीना है.
अच्छाई को बनाये रखने में,
खून का घूट भी पीना है.
धन्यवाद