उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के लिए सातवें यानि आखिरी चरण का मतदान 8 मार्च को खत्म हो गया, शाम पांच बजे तक 60.03 प्रतिशत मतदान हुआ, आखिरी चरण में पूर्वी उत्तरप्रदेश के सात जिलों में पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत भदोही, चंदौली, गाजिपुर, जौनपुर, मिर्जापुर और सोनभद्र के 40 सीटों पर मतदान हुआ, इस चरण में कुल 535 उम्मीदवार मैदान में थे, इस चरण के लिए 14,458 मतदान केंद्र बनाए गए थे, अंतिम चरण में तीन जिले नक्सल प्रभावित थे सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली में सुरक्षाबलों को चौकस रहने को कहा गया था ताकि अप्रिय घटना न हो.
वाराणसी जिले में सबसे ज्यादा 127 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे, वहीं 535 में 136 निर्दलीय उम्मीदवार थे वहीं भाजपा 32 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, इस चरण में जहां मायावती की नजर पूर्वी यूपी में मुस्लिम वोटर पर थी तो बीजेपी की नजर हिंदू वोटर्स पर थी आपको बता दें कि पिछले साल 2012 में 40 में 23 सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी, बहुजन समाजवादी पार्टी के खाते में पांच सीटें थी, वहीं बीजेपी के खाते में चार सीटें, कांग्रेस के खाते में चार और अन्य को पांच सीटें मिली थी.
वैसे देखा जाए तो यूपी के सातवें चरण में बाहुबलियों की कमी नहीं थी कांग्रेस के अजय राय पिंडरा से उम्मीदवार है अजय राय का बीस सालों से जीत का रिकॉर्ड रहा है, वहीं मुख्तार अंसारी ने अपने भाई सिबगतुल्ला अंसारी को बीएसपी का उम्मीदवार बनाया है, माफिया मुन्ना सिंह की पत्नी भी चुनावी मैदान में है, धनंजय सिंह का नाम यूपी के बाहुबलियों में शुमार रहते है वो भी अपनी किस्मत अजाम रहे हैं, धनंजय सिंह दो बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं.
अभी तो सभी उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में दर्ज हो चुकी है इसके नतीजे 11 मार्च को सबके सामने आएंगे, यूपी चुनाव पर देश भर की नजर रहती है, कहा जाता है की यूपी चुनाव में जीत ही दिल्ली की सत्ता तय करती है, इसलिए 2017 का विधानसभा चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव की दिशा-दशा तय करता है