योगी आदित्यनाथ का महंत से सीएम तक सफर

Yogi Adityanath's journey from Mahant to CM

गोरखपुर का एक योगी यूपी में सत्ता के सिंहासन तक जा पहुंचा. बीजेपी आलाकमान ने योगी आदित्यनाथ को सीएम के लिए सबसे योग्य माना, और सारी अटकलों को खत्म करते हुए. योगी आदित्यनाथ के नाम का एलान कर दिया. उत्तरप्रदेश के नए सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम पर मुहर लग गई.

योगी आदित्यनाथ बीजेपी के कद्दावर नेता कट्टर हिंदुत्व वाली शख्सियत और जुबान के जरा तीखे ये नाम ये पहचान ना सिर्फ गोरखपुर की गली-गली में आम है.बल्कि यूपी की सियासत में भी योगी आदित्यनाथ एक फायर ब्रांड नेता हैं.

विवादित बयानों के बावजूद भी योगी लोगों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब रहे हैं. यही वजह है योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार गोरखपुर से सांसद बन चुके हैं. योगी आदित्यनाथ 1998 में पहली बार सांसद बने महज 26 साल की उम्र में योगी संसद पहुंचे, 12 वीं लोकसभा में सबसे कम उम्र के सांसद थे योगी, 1998 के बाद से लगातार योगी गोरखपुर से जीतते रहे, योगी 1999, 2004,2009,2014 में सांसद बने.

लगातार जीत से साफ होता है कि योगी ने जब से सियासत शुरु की तबसे उनका कद लगातार बढ़ता गया ना सिर्फ गोरखपुर पर उनका कब्जा रहा बल्कि कट्टर हिंदुत्ववादी छवि के सहारे वो बीजेपी के लोकप्रिय नेताओं की जमात में भी शुमार हो गए.

योगी गोरखनाथ मंदिर में ही रहते हैं, सुबह-सवेरे वो मंदिर दर्शन के बाद जनता दरबार लगाते हैं. इस दरबार के लिए दावा किया जाता है कि इसमें सबकी सुनी जाती है, और फैसला ऑन द स्पॉट किया जाता है. योगी की छवि कट्टर हिंदुत्व की हो, लेकिन उनके दरबार में दूसरे मजहब के लोग भी जुटते हैं.

एक तरफ योगी राजनीति में अपना कद बढ़ाते जा रहे थे, दूसरी तरफ् उन्होंने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली. उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी, और लगातार अपने समर्थकों के साथ इस कार्य में जुटे रहे. कई बार विवादों से नाता भी जुड़ा लेकिन योगी का कद लगातार बढ़ता गया, और यही वजह रही जब पिछले लोकसभा चुनाव में यूपी में जीत का दांव लगा तो योगी को अनदेखा नहीं किया गया योगी ने खूब प्रचार किया.

यूं तो आदित्यनाथ की पहचान गोरखनाथ मंदिर और गोरखपुर से है. लेकिन योगी का जन्म गोरखपुर में नहीं हुआ बल्कि वो उत्तराखंड से हैं. वहीं जन्म हुआ वहीं पढ़ाई की और गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित में बीएससी की डिग्री हासिल की असली नाम भी योगी आदित्यनाथ नहीं बल्कि अजय सिंह है लेकिन इनको योगी की पहचान गोरखनाथ मंदिर से ही मिली.

गोरखपुर के इस गोरखनाथ मंदिर से राजनीति का नाता बहुत पुराना है. और आज योगी आदित्यनाथ जो भी हैं वो इस मंदिर की देन है. क्योंकि माना जाता है कि जो भी इस मंदिर का महंत बनता है उसी को ये शहर अपना उत्तराधिकारी भी चुनता है. मगर योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी उनके गुरू अवैद्यनाथ ने साल 1998 में चुना. राजनीति से संन्यास लेकर अवैद्यनाथ ने ये ज़िम्मा योगी आदित्यनाथ को सौंप दिया. और यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई है.

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में गुरु गोरखनाथ का मशहूर मंदिर मौजूद है. सदियों से ये मंदिर गोरखपुर की सबसे बड़ी पहचान रहा है. संत गोरखनाथ के सैकड़ों सालों पुराने इस मठ में कई योगी रात और दिन योग-साधना में लीन रहते हैं. लेकिन इस मठ में एक योगी ऐसा भी रहता है जो अपने दो पहले के गुरुओं की तरह जब मंदिर की दहलीज लांघता हैं तो राज योगी बन जाता है. और योगी आदित्यनाथ ने उस परंपरा में एक नया अध्याय जोड़ दिया है. एक महंत अब सत्ता के सिंहासन तक जा पहुंचा है.

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