सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया. मुख्यमंत्री ने अपने पास गृह और राजस्व मंत्रालय के साथ ही 37 विभाग रखे हैं. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को PWD सहित 4 विभाग दिए गए हैं. तो उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को शिक्षा के साथ ही 4 विभाग दिए गए हैं.
राज्य के पूर्व बीजेपी अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही को कृषि मंत्रालय सौंपा गया है. तो पहली बार विधायक बने श्रीकांत शर्मा को ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी दी गई है, वहीं सिद्धार्थनाथ सिंह को स्वास्थ्य विभाग सौंपा गया है. कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुईं. रीता बहुगुणा जोशी को माध्यमिक शिक्षा तो बीएसपी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य को श्रम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है.
उधर मंत्रालय का बंटवारा हुआ इधर यूपी के आम लोगों को बदलाव का अहसास दिलाने के लिए बीजेपी सरकार ने डंडा चलाना शुरू कर दिया है. बूचड़खानों को बंद कराने का काम और तेज हो गया है. अफसरों की कमान कस दी गई है. अपराध को लेकर जीरो टॉलरेंस के आदेश दिए गए हैं, लेटलतीफी और भ्रष्टाचार के खिलाफ जबर्दस्त सख्ती की गई है. लेकिन सबसे बड़ा डंडा मनचलों पर चल रहा है. एंटी रोमियो स्क्वॉड के सड़कों पर उतरने से शोहदों की शामत आ गई.
झांसी से लेकर लखनऊ तक, वाराणसी से बरेली तक, गोरखपुर से बिजनौर तक मनचलों की शामत आ गई है. स्कूल से लेकर कॉलेज तक पार्क से लेकर बस स्टैंड तक, भीड़ भरे बाजार से लेकर चौराहे तक, गली से लेकर नुक्कड़ तक हर जगह रोमियो की तलाश हो रही है.
कहीं पुलिस सादी वर्दी में तैनात दिखी, तो कहीं पूरे अमले के साथ अधिकारी सड़क पर थे. हर आने-जानेवाले की तलाशी ली जा रही थी. कालेज छात्राओं और दूसरी लड़कियों से पूछा जा रहा था कि कहीं कोई दिक्कत तो नहीं. कोई तंग तो नहीं कर रहा, किसी पर शक होने पर मौके पर सजा तक सुना दी गई उठक-बैठक करा दी गई. साफ दिख रहा है की रोमियों को पुलिस माफ करने के मूड में नहीं है.
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी का दूसरा वादा था कि सत्ता में आने के बाद बूचड़खानों को बंद कर दिया जाएगा. अवैध कत्लखानों पर तालाबंदी कर दी जाएगी, इस अभियान में और तेजी आ गई. राज्य के कई शहरों में पुलिस और प्रशासन के अधिकारी बूचड़खाने बंद कराने में जुटे रहे. इसमें कई रसूखदार लोगों के स्लॉटर हाउस भी शामिल हैं.
इस मामले में मेरठ में सबसे बड़ी कार्रवाई हुई. यहां पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारी बूचड़खानों को सील किया. यूनिवर्सल इंडिया लिमिटेड और वेट फीड्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम की दो मीट फैक्ट्रियों को सील कर दिया गया. तो कई दूसरे बूचड़खानों पर छापेमारी हुई.
पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी और पूर्व सांसद शाहिद अखलाक की मीट फैक्ट्रियों पर भी रेड हुई. हालांकि इन्हें अभी बंद नहीं किया गया है. मेरठ में अवैध ढंग से कमेले और मीट फैक्ट्री चलाने की खबर थी. छापेमारी की भनक पाकर कई अवैध बूचड़खानों के मालिक फरार हो गए.
योगी सरकार की तरफ से अधिकारियों को साफ निर्देश है कि अवैध बूचड़खानों को सील करने में जरा भी देर ना हो. साथ ही पशुओं की तस्करी रोकने के लिए गश्ती तेज की जाए. सख्त से सख्त कदम उठाए जाएं.
उत्तर प्रदेश में 355 बूचड़खाने हैं, जिनमें 40 बूचड़खाने अवैध रूप से चल रहे हैं. मेरठ में 4, अलीगढ़ में 3, उन्नाव में 4, कानपुर में 3, सहारनपुर में 2 समेत तमाम जिलों में साढ़े तीन सौ से ज्यादा स्लॉटर हाउस चलाए जा रहे हैं. इनसे हर साल यूपी सरकार को 11 हजार 350 करोड़ रुपये की कमाई होती है. साफ है की योगी सरकार नफा-नुकसान को छोड़कर बूचड़खानों पर ताला लटकाने और एंटी रोमियो स्क्वॉड के चुनावी वादे को पूरा करने में मुस्तैदी से जुटी है.