वेंकैया नायडू देश के 13 वे उपराष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। भाजपा के वेंकैया नायडू और विपक्ष के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी के बीच उपराष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला था। संसद में हुई वोटिंग में 516 वोट वेंकैया नायडू को मिले, वही गोपाल कृष्ण गांधी को 244 वोट मिले। कुल 785 सांसदों में से 771 सांसदों ने मतदान किया।
वेंकैया नायडू का जीवन परिचय-: 1 जुलाई 1949 को वेंकैया नायडू का जन्म आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में चावाटापल्लेम नामक गांव में हुआ था, उनके पिता का नाम रंगौया नायडू तथा माता का नाम रामनम्मा था, उनके पिता पेसे से किसान थे। वेंकैया नायडू जब 18 वर्ष के थे तभी उनकी माता का देहांत हो गया था।
वेंकैया नायडू ने 1973- 74 में आंध्र विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की, और छात्र संघ के अध्यक्ष भी बने। एक समय था जब वेंकैया नायडू दक्षिण भारत में हिंदी के विरोधी थे, परंतु आज वह स्वयं हिंदी का समर्थन करते हैं तथा हिंदी में भाषण देते हैं। 1978 में नेल्लोर जिले से सर्वप्रथम उन्होंने उदगिरी विधानसभा की सीट जीती। उसके बाद 1983 में वह दोबारा विधानसभा के लिए चुने गए। लोकसभा के लिए भी तीन बार चुनाव लड़े परंतु उन्हें एक बार भी लोकसभा सीट नहीं मिल सकी।
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1998 से 2016 तक वह लगातार तीन बार कर्नाटक से और चौथी बार राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुने गए।
तीनों सर्वोच्च पदों पर आरएसएस के दिग्गज
आजादी के बाद यह पहला मौका है जब देश के तीनों संवैधानिक पदों पर आरएसएस के स्वयंसेवक विराजमान हुए हैं। सर्वोच्च पदों पर आसीन तीनों शख्सियत की जिंदगी एक दूसरे से मिलती जुलती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू तीनों का ही बचपन गरीबी में बीता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 साल की उम्र में ही (1967) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ले ली थी, वहींं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 1977 में संघ से जुड़े इसी तरह वेंकैया नायडू भी युवाकाल में ही संघ से जुड़ गये थे।
देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन तीनों ही नेताओं की छवि साफ़ साफ़ सुथरी है। भ्रष्टाचार के आरोप से तीनों ही अभी तक दूर है। इसी वजह से विरोधी पार्टियां उन्हें कटघरे में खड़ा करने में नाकामयाब रही हैंं। देश के तीनों ही सर्वोच्च पदों पर ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ वह कर्मठ नेता विराजमान हैंं, उससे देश की आर्थिक प्रकृति के साथ-साथ देश की छवि में भी सुधार आयेगा।