कहते है कि प्यार की ब्यार चली है
दिल में भी एक झंकार बजी है
साजन भी है, जुदाई भी है
फिर भी दिल में अजीब सी हुंकार बजी है
चाहता है कि एक बार वों आ के बस कह दे
कि आज की जुदाई न होगी कभी
दिल को एक आदत सी जो है तेरी
तू मेरे मुकंदर की तरह लिख गया है मेरी किस्मत में
अब परछाई की तरह साथ है मेरे
तो फिर यह जुदाई का आलम कैसे सह लूं
मै मांगती हूं वादा तुझसे ,पर तू करता नहीं है
कहता है वादा नहीं करता में जो तू मांगती है
मुझसे क्योंकि तू कहती है उस वादे में कि
कभी तों मुसे याद कर लिया करों
इसलिए दे नही सका में यह वादा तुझे
और मैं फिर वहीं कहूंगा कि याद उन्हें करते है
जिन्हें भूल जाते है,
तो भला तू ही बता क्यों करु मैं ये वदा
इसलिए में कहती हू तुझसे ना कर तू वादा मुझसे
क्योंकि तेरे इस अनकहे वादे से भी में
इस तरह से बंध गई ही कि
तू मेरी किस्मत का मुकदर बन गया है