प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को वक़्त रहते कुछ बड़ा करने की प्रेरणा दे रही है, वह कहती है कि केवल कहने से कुछ नहीं होता हम जीवन में अगर कुछ बड़ा करना चाहते है तो अपना हौसला हमेशा बनाये रखे रहना होगा। जीवन में कुछ ऐसे पड़ाव भी आयेंगे जब लोग हमारे काम का उपहास उड़ायेंगे.
हमे ये समझाने की कोशिश करेंगे कि हम जो भी कर रहे है वह गलत है, ऐसी परिस्थिति में इंसान कभी खुद का साथ न छोड़े क्योंकि याद रहे आपने अपना सपना अपने लिए देखा है कोई दूसरा आपका सपना कैसे देख और समझ सकता है। ज़िन्दगी में कोई साथ दे न दे मगर खुद का साथ कभी न छोड़ना और याद रखना कहने से कुछ नहीं होता करके दिखाओ।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
कहने और करने में फर्क तो होता है।
कोई अपनी बात पे रहता,
तो कोई आराम से सोता है।
कर अपने को व्यस्त,
जो अपनी बात पर रहता है।
जीत को कर हासिल,
अपनी सफलता की कहानी फिर वही तो कहता है।
कहने और करने में फर्क तो होता है।
क्यों अपनी कही बात पर न चल,
बाद में तू रोता है?
जिसने रखी खुदसे जैसी अपेक्षा,
उसके संग वैसा ही तो होता है।
कहने और करने में फर्क तो होता है।
अपनी किये का बीज,
हर इंसान खुद के लिए तो बोता है।
वक़्त गवा, बस कहने से,
कुछ बड़ा कभी नहीं होता है,
चलके दिखा कर अपनी ही बुनी राह पर,
जीवन के अंतिम वक़्त में,
इंसान चैन की नींद सोता है।
कहने और करने में फर्क तो होता है।
आशाओं के दीपक में,
हौसले का तेल ही होता है।
हौसला बने रहने तक ही दीपक जलता है।
हौसला टूटा जो ज़रा भी,
आजीवन इंसान फिर हाथ ही मलता है।
धन्यवाद. कृप्या आप ये कविता बहुत लोगो तक पहुँचाये जिससे बहुत लोग सही ज्ञान तक पहुँचे। हमारी सोच ही सब कुछ है हम जैसा सोचते है वैसे ही बन जाते है।