प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि एक ही बात इंसान अलग-अलग तरीके से रखता है कभी वही बात किसी को सही समझमे आती है तो कभी वही बात किसी को बुरी लग जाती है। इसलिए हर एक बात सोच समझ कर करनी चाहिये. ये बाते जीतनी पढ़ने में आसान लगती है उतनी होती नहीं है क्योंकि गलती इंसान से ही होती है और हम इंसान है लेकिन अगर नियंत्रण प्रयास करा जाये तो सब संभव है बस सही दिशा की ओर पहला कदम बढ़ाने की देरी है। कवियत्री सोचती है हमारे जीवन के दुख का कारण कोई और नहीं होता हम खुद ही होते है इसलिए वक़्त रहते खुद को संभालना बहुत ज़रूरी है। याद रखना किसी की चाहे छोटी सी गलती ही क्यों न हो वो बहुत जलती फैलती है लेकिन अच्छाई का आशियाना बनाने में बरसो लग जाते है। लेकिन एक बार अगर वो सही तरीके से सही दिशा में बन जाये तो फिर उसे कोई तोड़ नहीं सकता बस कभी अपना हौसला मत खोना। जिसे तुम्हे समझना है वो तुम्हारे बिना कुछ कहे ही समझ जायेगा तुम्हारे ज़ख्मो का दर्द उसे भी सतायेगा बस हर चीज़ को वक़्त देने की ज़रूरत है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
एक ही बात कहने के कई तरीके होते है।
अपनी ही बात गलत तरीके से रख कर,
हम ही तो लड़ाई के बीज बोते है।
एक सीधी सी बात ही,
जब सबको अलग तरीके से समझ में आती है।
तो सोचो गलत बात की अग्नि,
कैसे तेजी से फ़ैल जाती है।
हर एक बात तुम बहुत ही सोच के बोलो।
अपनी गंभीरता का सच,
तुम किसी और की गंभीरता से मत तोलो।
क्योंकि जो तुम्हे समझता है,
वो तुम्हारे बिना कुछ कहे ही समझ जायेगा।
तुम्हे बिन बताये तुम्हारे लिए जीवन की ठोकरे भी वो खायेगा।
क्योंकि तुम्हे उदास देख,
उसका भी मन भर आयेगा।
धन्यवाद