प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि हर मानव को अपने दुखो से अपने दम पर ही लड़ना सीखना होगा क्योंकि हमारी परिस्थिति को हमसे ज़्यादा अच्छा कोई और नहीं समझ सकता दूसरे से बात करके भले ही मन हल्का हो जाता है लेकिन कब तक हम दूसरो का सहारा लेकर जीवन में आगे बढ़ेंगे कभी तो हमे भी खुद ही शरण में जाना होगा पहले हम इस बात को समझेंगे फिर धीरे-धीरे करके एक दिन सबको ये बात समझमे आयेगी की हमारे दुख और सुख दोनों के कारण हम खुद ही होते है हमारे हाथ में ही है हमारी ज़िन्दगी को सवारना या बिगाड़ना।
कवियत्री सोचती है वक़्त रहते सब अपनी क्षमताओं को जाने कही बुढ़ापे तक पहुँचने पर इंसान अपने बीते कीमती वक़्त को याद करके रोये न। याद रखना दोस्तों जीवन का हर क्षण अनमोल है हर क्षण में खुदसे ही पूछना तुम ने अब तक के जीवन में कितना पाया है तुम्हे तुम्हारे हर सवाल का जवाब तुम्हारे अंदर से ही मिलेगा।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
हमारे सारे सवालों के जवाब,
हमारे अंदर ही होते है।
अक्सर अपनी न सुन,
हम दूसरों की सुन कर रोते है।
तुम्हारी परिस्थिति अच्छेसे केवल तुम ही तो समझ पाओगे।
अपने दुखो को लेकर, तुम कब तक दूसरों के पास जाओगे।
जाना तो सबको अपनी ही शरण में पड़ेगा,
दूसरों के सहारे से, कब तक हर मानव आगे बढ़ेगा।
कभी तो खुद के लिए भी जीना सीखो।
हर छोटी छोटी बात पर तुम दूसरों पर मत चीखो।
पहले खुदको संभालो,
तभी तो दूसरों को समझ पाओगे।
बिता कर अपनी यूही जवानी,
फिर बुढ़ापे में, तुम क्या बड़ा कर पाओगे??
वक़्त रहते अपनी क्षमताओं को जानो,
और बनालो खुदको अपना यार।
अंध विश्वास कर दूसरों पर,
पड़ती सबको जीवन की मार,
तेरे हर दुख का निवारण तुझे तेरे अंदर ही मिलेगा।
अपने दुखो को खुद पराजित कर,
तू भी एक दिन खुदकी क्षमताओं को पहचान, फूल सा खिलेगा।
धन्यवाद।