प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि दु:ख सबके जीवन में आते है बस सबका सम्भलने का अपना-अपना होता है। वह सोचती है ईश्वर भी जब इस धरती पर मानव रूप में आये वह भी दु:खो से बच नहीं पाये. फिर भी अपने अच्छे कर्म और अच्छी सोच से उन्होंने हमे सही दिशा दिखाई।इंसान अपने दु:ख में इतना डूब जाता है कि उसे जो मिला भी होता है वह उसे भूल जाता है। वह सोचती है कि हमे ईश्वर से कभी ये प्रार्थना नहीं करनी चाहिये की हमे दु:ख ही ना हो बल्कि हमे ईश्वर से ये प्रार्थना करनी चाहिए कि अपने दु:खो से अपने दम पर हम आजीवन लड़ सके। याद रखना मानव जीवन में मन की शक्ति ही उसका सबसे बड़ा धन है। जिसने अपने मन को अपने काबू में कर लिया समझो वो इस जहाँ का सबसे बड़ा धनी इंसान है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
तो क्या हुआ अगर मज़ाक उड़ाकर,
किसी ने तुम्हारा दिल दुखाया?
ये सोच कर ही खुश हो जाओ,
किसी ने तुम्हे चुप कराकर प्यार से भी तो मनाया।
तो क्या हुआ अगर जीवन में तुम्हारे,
अपनों ने तुम्हे सही वक़्त पर टोका नहीं।
ये सोच कर ही संभल जाओ,
तुमने भी तो खुदको गलत दिशा में जाने से रोका नहीं।
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तो क्या हुआ अगर तुम्हारी बातें,
हर किसी को समझमे ना आये।
ये सोच कर ही खुश हो जाओ,
जिसे भी समझ में आये उसके दिल को ही करार मिल जाये।
तो क्या हुआ अगर दूसरा गलत करके भी,
अच्छाई कमाता है।
ये सोच कर ही बेफिक्र हो जाओ,
एक न एक दिन सबका किया सबके सामने आता है।
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तो क्या हुआ अगर मंज़िल की राह में,
तुम्हे सोने का वक़्त भी न मिल पाये।
ये सोचो बस, उस मंज़िल के शिखर की चोटी पर,
हम सही वक़्त पर, सही दिशा में बढ़कर पहुँच जाये।
जीवन में ठोकरे हम भले ही खाये।
सही दिशा का रास्ता हम कभी न भुलाये।
धन्यवाद