प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि हर इंसान इस दुनियाँ में कोई तो मकसद लेके आता है उस मकसद को पाने के रास्ते में न जाने कितनी जीवन की ठोकरे वो खाता है फिर भी जो इंसान कभी अपने लक्ष्य के रास्ते में मात खाकर भी नहीं बैठता उसी इंसान का नाम इतिहास के पन्नो में जगमगाता है।
याद रखना दोस्तों जो इंसान जीवन की लड़ाई स्वयं की गलत आदतों से करते है वही इंसान इंसानियत के धर्म की स्थापना करते है ऐसे मनुष्य अपना पूरा जीवन जग कल्याण में बिता देते है फिर जीवन के हर पड़ाव को सफलता से पार कर दूसरों के लिए एक उदाहरण बन जाते है फिर जीवन के अंत में सुकून से कुछ पल की गहरी नींद लेके वो फिर से जग कल्याण के काम में अपने दूसरे रूप के साथ लग जाते है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
हर एक दिन यहाँ, इस भूमी पर रहने का,
कोई तो मकसद होता है।
उस मकसद को ही न पहचान,
इंसान,खुद के गमो को याद कर रोता है।
रोने से कुछ नहीं होता क्योंकि
जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है।
आज का ये दिन, कल, कल बन जायेगा।
हर बीते हुये, लम्हों का एहसास ये तुझे हर पल करवायेगा।
अपने अस्तित्व को मिटता देख,
तू जीवन का ये गहरा सच भी पहचान जायेगा।
अपने को सही वक़्त पर, सही रास्ते पर मोड़,
फिर तुझे भी करार आयेगा।
उस रास्ते पर चलकर मिली सफलता से,
तेरा नाम भी इतिहास के पन्नो में जगमगायेगा।
बस यही, तेरी कड़ी मेहनत का सच, सदा के लिए यहाँ रह जायेगा।
लुप्त होकर इस दुनियाँ से कुछ पलकों तू चैन से सोजायेगा।
फिर एक नाये द्रण संकल्प को लेके,
तू फिर से इस दुनियाँ में, अपनों के बीच में आजायेगा।
धन्यवाद।