बेबाक होकर हम दौड़ पड़े,
तेरे दर पर ओ खुदा,
दुनिया की माला में फंसे पड़े,
अब कुछ राहत दे ओ खुदा।
अश्को को बहा के देख लिया,
दिल को आजमा के देख लिया,
भावना की मुट्ठी में बंद पड़े,
अब कुछ राहत दे ओ खुदा।
मेरे तसववुर में तस्वीर हैं,
तेरे ही रूप की एक छवि,
आशिक़ जो हुए रो पड़े,
अब कुछ राहत दे ओ खुदा।
मेहबूब को ना भाया हैं,
मेरा मजबूर दिल का तौफा,
उनकी याद में बिखरे पड़े,
अब कुछ राहत दे ओ खुदा।
में इक मुरीद हूं ग़ालिब की,
मिलना नहीं आब_ओ_रहम,
जाकर रास्तों पर रुके पड़े,
अब कुछ राहत दे ओ खुदा।
इक आस हैं तुझसे,
दुआ मेरी कुबूल ही कर,
ज़ख्मी मेरे पांव हुए पड़े,
अब कुछ राहत दे ओ खुदा।
विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न रमा नयाल ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com
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