किसी ने अपने खून पसीने से तुझे सींचा

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि आज कल बच्चे पैसो के खातिर अपने माता पिता को बढ़ापे में बेसहारा छोड़ देते है वह ये भूल जाते है की बढ़ती उम्र के साथ-साथ बुढ़ापा उन्हें भी आयेगा और फिर जब उनका बीता कल जब उनके सामने आयेगा तब तक वक़्त बहुत आगे निकल जायेगा फिर उनके पास पछतावे के अलावा और कुछ नहीं रह जायेगा। याद रखना दोस्तों ईश्वर मूर्तियों में नहीं हर जीव में छुपा हुआ है और माता पिता तो हमारे जन्म दाता है उनके साथ गलत व्यवहार कर बच्चा कभी खुश नहीं रह सकता।

never hurt your parents

अब आप इस कविता का आनंद ले।

किसीने अपने खून पसीने से तुझे सींचा,
बढ़ती उम्र के रहते तुमने उनसे कुछ न सीखा।
छोड़ दिया बुढ़ापे में उन्हें बीच मजधार में,
खुदा भी रो पड़े, तुम्हारे ऐसे व्यवहार से।
जब बनना था लाठी, तब बन गये तुम उनके रास्ते का काटा।
तुम्हारे सुख के खातिर,
उन्होंने अपनी खुशियों को भी तुम सब में था बाटा।
अब बुढ़ापे में मारा तुमने उन्हें ये कैसा चाटा।
अपने दर्दो के साथ ही,
उन्होंने पल-पल न जाने अपना कैसे है काटा??
पैसो की खातिर जो छोड़ा,
वो पैसा भी तुम्हे कैसे फल पायेगा।
बढ़ती उम्र के साथ,
तेरा आज, कल तेरे ही सामने ज़रूर आयेगा।
तब जाके तुझे भी,
अपने माता-पिता का दर्द समझ में आयेगा।
लेकिन तब तक समय का पईया,
बहुत आगे निकल जायेगा।

धन्यवाद।

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