प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि ज्ञान हर कोई इंसान जानता है लेकिन जीवन में उसे उतारना हर एक के बस की बात नहीं होती। यह बात सोचनीय है कि सफलता पाकर इंसान चुप अपने में मस्त भी तो रह सकता है फिर क्यों आजीवन वो मेहनत करके दूसरों को भी सही दिशा दिखाता है? शायद इसलिए क्योंकि वो सोचता है सफलता पाकर जो ख़ुशी का अनुभव मुझे हुआ है वही अनुभव सबको हो।लेकिन इस राह में कुछ लोग उसका साथ देते है तो कुछ लोग उसका उपहास उड़ाते है उसे आगे बढ़ने से रोकते है फिर भी वो खुद को थामे सफलता के शिखर पर पहुँच कर दिखाता है। तब जाके सब उसकी बात समझ जाते है और फिर उसे ही वो अपने जीवन की प्रेरणा मानते है। याद रखना दोस्तों आसानी से जो मिल जाये उसमे मज़ा नहीं आता।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
किसी ने पढ़ा, किसी ने जाना,
तो किसी ने ज्ञान अपने जीवन में उतारा।
सबको भूल इस दुनियाँ की भीड़ में,
वो बन बैठा, बस अपना इकलौता सहारा।
किसी ने सुनी तो किसी ने उसका उपहास उड़ाया।
सबकी बातो को कर परे, उसने तो सिर्फ अपना हौसला बढ़ाया।
चाहता तो ज्ञान बाटने की दिशा में विराम लगा देता।
सबको भूल, वो बस अपनी दुनियाँ सजा देता।
फिर क्यों सही मार्ग का रास्ता उसने सबको दिखलाया?
अपने दुखो के रहते भी ,क्यों उसने सब पर प्यार ही बरसाया?
शायद इसलिए क्योंकि उसको ही ज्ञान सही से समझ में आया।
मद-मस्त हो उठा वो हर एक इंसान,
जिसे सही दिशा का मार्ग समझमे आया।
बन बैठा वो सबका, फिर न था उसके लिए कोई पराया।
न समझ उसकी बात, बहुत लोगो ने उसका उपहास उड़ाया।
नीचे दिखा कर ज्ञानी को अज्ञानी को, बहुत ही मज़ा था आया।
दर-दर की खाई जब ठोकरे,
तो अज्ञानी को भी जीवन का एक गहरा रहस्य समझ में आया।
बोया है तो एक दिन फसल भी आयेगी।
लगाया जब कांटे का पेड़, तो उसमे तुलसी कैसे खिल जायेगी?
धन्यवाद।