जल्दी से देरी भली

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि किसी काम में अगर देरी हो रही है तो वो और भी अच्छा है उदाहरण के तौर पर हम फूल को ले सकते है फूल भी फूल बनने से पहले कली बनता है अगर कली बनते ही उसे कोई तोड़ ले तो वो फूल कभी नहीं बन पायेगा कहने का मतलब ये है कि अगर आप कुछ बनना चाहते है

जल्दी से देरी भली

तो कभी अपने लक्ष्य के रास्ते में मेहनत करना मत छोड़ना क्योंकि मेहनत और सफलता के बीच कई परीक्षाये देनी पड़ती है इसलिए ज़माना आपका साथ दे या ना दे कभी अपना हौसला मत खोना। याद रखना दोस्तों अग्नि में तपकर ही सोना और भी निखरता है।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

जल्दी से देरी भली.
फूल तो बनता बादमे,
पहले तो बनती है एक छोटीसी कली।
वो देरी ही तो उसे फूल सा सुन्दर खिला देती है।
अपने जज़्बातो को वो इस दुनियाँ को धीरे से बताती है।
तोड़ना ना मुझे, वरना वक़्त से पहले ही मुरझा जाऊँगी।
अपने सही अस्तित्व की पहचान,
फिर मैं इस दुनियाँ को कैसे कराऊँगी??
वक़्त लगता सबको ही यहाँ खिलने में,
मिलता इस दुनियाँ में बहुत कुछ अच्छे लोगो से मिलने में.
मगर अच्छे को समझने की समझ किसमे होती है??
अच्छे को पहले परेशान कर,
फिर बुराई भी यहाँ बाद में रोती है।

धन्यवाद

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