समाज मे सम्मान व्यक्ति के कर्मों और विचारों का, त्याग और परोपकार की भावना का, गरीब, पिछड़े, शोषित के लिए किए संगर्ष और इंसानियत को दिए पैगाम का होना चाहिए। संघर्ष में अपना पूरा जीवन समाज के अंतिम छोर के गरीब के लिए समर्पित करने वाले गुरुजी के जन्म दिवस (27 जनवरी) को संस्कार शिविर के युवा साथियों ने “सद्भावना दिवस” के रूप में मनाने और इस शुभ अवसर पर 57 चयनित जरूरतमंद गरीब प्रतिभाओं को स्कॉलरशिप देने के निर्णय की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।सब लोगों का स्वागत
साथियों पिछले 9 सालों से जाट समाज के युवाओं का भविष्य संवारने में लगे आदरणीय गुरुजी रामनारायण जी चौधरी के जन्मदिन को संस्कार शिविर के शिविरार्थियों द्वारा हर्षोउल्लास से मनाने का निश्चय किया है। गुरु जी ने हमेशा देश व समाज को मजबूती प्रदान करने व सभी जाति-धर्मो में भाईचारा कायम करने की शिक्षा दी है इसलिये गुरुजी के जन्मदिन को “सदभावना दिवस” के रूप में मनाने का निश्चय किया है।
जैसा कि आपको पता है गुरुजी ने आज तक कोई ऐसा काम नहीं किया है जिससे समाज का अहित हो,अपने नाम व शौहरत के लिये समाज के युवाओं का कभी गलत उपयोग नहीं किया है इसलिये हम भी बल्डडोनेशन जैसा कोई काम नहीं करके गुरुजी के 57वें जन्मदिन पर ऐसे 57 प्रतिभावान युवाओं का चयन करेंगे जिनकी आर्थिक स्तिथि कमजोर है उनको शिक्षा,कोचिंग के लिये 11-11 हजार की मदद करेंगे।
गुरु जी का जन्मदिन राजस्थान की राजधानी जयपुर में धूमधाम से मनाया जायेगा जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित है। मुझे उम्मीद है युवा साथियों की गुरुजी के जन्मदिवस पर जरूरतमन्दों की मदद करने की यह पहल प्रेरणा का काम करेगी। पोस्ट में दी गई गुरुजी की यही वो तस्वीर है जिसने शहीदों के सम्मान में राजस्थान के शहीद परिवारों के घर-घर तक जाने हेतु प्रेरित किया और बिना थके बिना रुके बारिश में भी सड़कों पर 8700 किलोमीटर की यात्रा की।
29 व 30 मई 2007 के दो दिवसीय “राष्टीय जाट चिंतन शिविर” की यह तस्वीर संगर्ष से जुड़ी यादों को ताजा करती है औऱ समाज के लिए कुछ करने हेतु हमेशा प्रेरित करती है. अप्रेल-मई माह की चिलचिलाती धूप में गुरुजी ने इस चिंतन शिविर की सफलता के लिए गांव-ढाणी तक अपनी मोटर साइकिल से उस वक्त टूटी हुई बदहाल सड़कों पर लम्बी दूरी तय कर चिंतन शिविर का ऐतिहासिक आयोजन किया और समाज के लिए आज भी उनका संगर्ष बदस्तूर जारी है।
उनका संगर्ष बहुत ही लम्बा है जिसे चंद लाइनों में समेटना संघर्ष का अपमान है। भविष्य में पुस्तक के माध्यम से गुरुजी के संगर्ष को हर युवा तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे ताकि विकट परिस्थितियों से झुझते हुए आगे बढ़ने का हुनर हर युवा साथी सिख सके।
[स्रोत- धर्मी चंद]