चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में कई मैच बारिश की भेंट चढ़ गए. बारिश इस टूर्नामेंट के पीछे ही पड़ गई है. इस बार चैंपियंस ट्रॉफी में वर्षा ने बहुत खलल डाला है, जिसके कारण ऑस्ट्रेलिया को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. ऑस्ट्रेलिया के तीन में से दो मैच बारिश की भेंट चढ़ गए हैं और तीसरा मैच 10 जून को इंग्लैंड से है. इस मैच पर भी बारिश का खतरा मंडरा रहा है.
इस बार चैंपियंस ट्रॉफी के प्रति लोगों के उत्साह में थोड़ी कमी देखी जा रही है. इसके पीछे की एक बड़ी वजह बारिश है जिसके कारण ऑस्ट्रेलिया के 2महत्वपूर्ण मैच परिणामरहित रहे और लगभग सभी मैचों में बारिश के कारण खेल बार-बार रोकना पड़ा है. लगातार हो रही बारिश ने इस बड़े टूर्नामेंट के आयोजकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हम जानते हैं कि आज के इस आधुनिक युग में विज्ञान और तकनीक ने हमें इतना सक्षम बना दिया है कि मौसम और बारिश के बारे में हम पूर्व सूचना पा सकते हैं. ऐसे समय में इंग्लैंड में बारिश की संभावनाओं को जानना कोई मुश्किल काम नहीं है. बावजूद इसके आईसीसी ने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया. यद्यपि आईसीसी किसी भी बड़े टूर्नामेंट के आयोजन स्थल की घोषणा 1 से 2 वर्ष पूर्व कर देती है लेकिन तात्कालिक परिस्थितयों को देखते हुए इसके समय में फेरबदल करने की संभावनाएं बनाये रखनी चाहिए. ऐसा नहीं करने से न सिर्फ आयोजकों को नुकसान होता है बल्कि क्रिकेट के प्रति लोगों की रूचि में भी कमी आती है.
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चैंपियंस ट्रॉफी के आयोजन स्थल में हर बार परिवर्तन किया जाता है. सबसे पहले वर्ष 1998 में यह बांग्लादेश में, फिर केन्या और उसके बाद श्रीलंका, इंग्लैंड, भारत, दक्षिण अफ्रीका में हुआ है. यह पहला मौका है जबवर्ष 2013 और 2017 में लगातार दो बार चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन इंग्लैंड में ही किया जा रहा है. निःसंदेह इस बार आईसीसी का यह निर्णय बारिश के कारण गलत साबित हुआ है. जरूरत है आईसीसी को अपनी कार्यप्रणाली में लचीलापन लाने की जिससे आगे कभी किसी समस्या के पैदा होने पर, तुरंत उससे निपटा जा सके. उम्मीद करते हैं कि आईसीसी इस बार की परेशानियों से सबक लेते हुए 2021 में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी के लिए समय और स्थान का चुनाव करते वक्त सतर्कता बरतेगी.