प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि जीवन में अगर सुकून पाना है तो हमेशा छोटे बन कर रहो क्योंकि इन्साफ करने वाले तुम नहीं लेकिन गलती करने वाले तुम ही होते हो और तुम्हारी गलतियों का परिणाम तुम्हारे सामने ज़रूर आता है। किसी और की गलती का परिणाम तुम्हारे सामने कभी नहीं आयेगा इसलिए अपनी गलती मान जीवन के हर पड़ाव में शांति का पथ अपना कर आगे बढ़ो।याद रखना दोस्तों जीवन में हमारा सबसे अच्छा मित्र हम खुद ही होते है गलती कर उस गलती को न मान इसलिए ही हम जीवन में रोते है। और किसी की सफलता को न देख बस उसके संघर्षो को देखो अगर तुम भी इतनी मेहनत,लगन और सच्चाई के साथ करोगे तो अच्छा फल तुम्हे भी मिलेगा बस गलत का साथ न देना इस राह में ठोकर भले ही बहुत है लेकिन अग्नि में तप के ही सोना और निखरता है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
छोटा बनके रहने में ही सुकून मिलता है।
कई कठनाईयो से जूझ के,
जीवन में सुकून का फूल खिलता है।
करता है कोई आजीवन मेहनत,
तब जाके सबको रोटी का एक निवाला मिलता है।
एक जंग बाहर तो एक जंग घर में लड़ता है।
तब जाके कही सुकून का एक घरोंदा बनता है।
किसी के सुकून को न देख उसके संघर्षो को परखना।
बस सही मार्ग के रास्ते से तुम कही न सरकना।
सरके तो तुम्हारा खुदका जीना ही मुश्किल होजायेगा।
डटा रहा जो जीवन के हर पड़ाव में सत्य के साथ ,
इस दुनियाँ में सिकंदर तो बस वही कहलायेगा।
धन्यवाद