प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि समझाना उसी को ही चाहिये जो हमारी बात को समझना चाहता है क्योंकि बहुत से लोग दुनियाँ में ऐसे भी होते है जो अपने लक्ष्य को पाने में इतनी मेहनत नहीं करते बस कुछ बड़ा हासिल करने का केवल सोचते है।
दोस्तों बहुत कम लोगो को इस दुनियाँ में अपनी क्षमताओं के बारे में पता होता है और जब उन क्षमताओं को और उभार कर आप उस दिशा में आगे बढ़ते हो तब आपको कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है लोग आपको पहले नहीं समझते फिर जब आप सफल होजाते हो तो वही लोग आपसे प्रेरणा लेते है इसलिए कभी दुनियाँ की सुन कर अपनी क्षमताओं पर से विश्वास मत खोना, सुनो सबकी मगर करो अपने दिल कि क्योंकि आपकी क्षमताओं की गहराई केवल आपको ही पता है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
समझाओ उसको जो समझना चाहता है.
अपने लक्ष्य को लेके जो बस,
ख्याली पुलाव ही नहीं पकाता है.
मेहनत की अग्नि में जो खुदको जलाता है.
भव सागर पार तो बस वही उतर पाता है.
उस तरफ क्यों कदम बढ़ाना?
जहाँ सफलता की गुंजाईश न हो.
सफलता वहां कभी नहीं मिलती
जहाँ आपकी कोई फरमाइश न हो.
जब अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते जाओगे,
इस दुनियाँ की पहले, तुम तानो की ठोकर ही खाओगे।
सुनना बस अपने दिल की,वरना बाद में तुम पछताओगे।
क्योंकि तुम्हारे दिल में ईश्वर का वास होता है।
अपनी क्षमताओं को ही ना पहचान,
इंसान यहाँ हार कर रोता है।
धन्यवाद