दुनिया की रचयिता भगवान विश्वकर्मा की जयंती आज
ब्रह्मांड रचयिता भगवान विश्वकर्मा की जयंती प्रतिवर्ष माघ महीनें में भारत की उत्तर तथा पश्चिमी हिस्सों में मनाई जाती है। यह जयंती तिथि माघ शुक्ल त्रयोदशी के दिन मनाई जाती है। आज 14 फरवरी 2022 को यह जयंती पूरे देश में मनाई जा रही है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात में भी मनाई जा रही है। इसके अलावा भारत के पूर्वी हिस्से यानी झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, त्रिपुरा आदि स्थानों पर विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को मनाई जाएगी।
मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा जी के कहने पर ही विश्वकर्माजी ने दुनिया का निर्माण किया था। हस्तिनापुर, द्वारिका से लेकर शिवजी का त्रिशूल भी विश्वकर्मा जी ने ही बनाया था। भगवान विश्वकर्मा इस पूरी दुनिया के रचयिता हैं। माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि को भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है, कि आज के दिन अगर पूरे विधि-विधान से भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना की जाए तो जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं, तथा व्यापार में आने वाली कठिनाइयां भी दूर हो जाती हैं। एवं घर में सुख संपदा निवास करती है।
विश्वकर्मा समाज द्वारा मुख्य रूप बनाई जाती है विश्वकर्मा जयंती
विश्वकर्मा जयंती समारोह मुख्य रूप से विश्वकर्मा समाज के लोगों द्वारा बडे ही धूमधाम से मनाया जाता है। जिसमें सकरा और मुरोल दोनों प्रखंड के विश्वकर्मा समाज के लोग सम्मिलित होते हैं। उनके द्वारा विश्वकर्मा जयंती पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा की पूजा अर्चना की जाती है। तथा विशेष प्रकार के आयोजन किए जाते हैं। एवं यज्ञ हवन भी किए जाते हैं।
भगवान विश्वकर्मा मंत्र
ऊँ आधार शक्ति नमः, ऊँ क्मयि नमः, ऊँ अनंतम नमः,ऊँ पृथ्वियै नमः।
का जाप भी किया जाता है।