एक बार फिर संगीत की दुनिया से एक बुरी खबर आई है हिंदी फिल्मों की एक भारतीय प्रसिद्ध गायक और संगीतकार बप्पी लहिडी़ का मुंबई के अस्पताल में निधन हो गया। बप्पी लहिडी़ को ऑब्जेक्टिव स्लीप एप्रिया की शिकायत थी। इसी के चलते उनके फेफड़ों में संक्रमण हो गया था वह 69 वर्ष के थे। अस्पताल के निदेशक डॉक्टर नाम जोशी ने पीटीआई को बताया कि बप्पी लाहिडी़ को 1 महीने के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। और सोमवार को उन्हें छुट्टी दे दी गई थी और मंगलवार को उनकी तबीयत बिगड़ गई उनके परिवार वालों ने डॉक्टर को घर बुलाया उन्हें फिर अस्पताल लाया गया। उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याएं थी जिनकी वजह से उनकी मृत्यु हो गई।
बप्पी लहिडी का जन्म 27 नवंबर 1952 को पश्चिम बंगाल की जलपाईगुड़ी में हुआ था। बप्पी लहिडी का असली नाम आलोकेश लहिडी था। बप्पी दा ने मात्र 3 वर्ष की आयु में ही तबला बजाना सीख लिया था। बप्पी दा 70 और 80 के दशक के मशहूर गायक थे। उन्होंने उस दौर में डिस्को संगीत को लोकप्रियता दिलाई थी। बप्पी दा को “डिस्को किंग” के नाम से भी जाना जाता था। बप्पी दा को डिस्को बहुत पसंद था उन्होंने डिस्को म्यूजिक के लिए लोगों को दीवाना बना दिया था। बप्पी दा अपनी आवाज और डिस्को गाने के अलावा सोने के भारी-भरकम गहने पहनने के लिए भी अलग पहचान रखते थे।
एलविस प्रेसली से मिली थी गोल्ड पहनने की प्रेरणा
बप्पी लहिडी अमेरिकन रॉकस्टार एलविस प्रेसली के बड़े फैन थें। एल्विस अपनी परफॉर्मेंस के दौरान हमेशा सोने की चैन पहना करते थे । एल्विस को देखकर बप्पी दा ने भी सोचा कि जब वह कामयाब हो जाएंगे तो अपनी एक अलग पहचान बनाएगे कामयाब होकर बप्पी दा ने सोना पहना जिससे उन्हें इंडिया का गोल्डमैन तक कहा जाने लगा। इसी के साथ बप्पी दा ने बताया था कि वह सोने को अपने लिए लकी मानते थे।
बप्पी लहिडी 3 साल की उम्र में सीखा था तबला बजान|
बप्पी दा ने बहुत छोटी उम्र 3 साल में ही तबला बजाना सीख लिया था। और उनके गाए गीत मुंबई से आया मेरा दोस्त, आई एम अ डिस्को डांसर, जूबी जूबी, याद आ रहा है तेरा प्यार,यार बिना चैन कहां रे, तम्मा तम्मा लोगे आज भी लोगों के जुबान पर चढे़ है। बप्पी लहरी को संगीतकार बनने की प्रेरणा एसडी बर्मन से मिली थी। महज 17 साल की उम्र से ही बप्पी संगीतकार बनना चाहते । बप्पी टीनएज उम्र से ही एसडी बर्मन के गानों को सुना करते थे और रियास किया करते थें।