भेद भाव नहीं होता सपनो में

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि बड़ा सपना कोई भी देख सकता है क्योंकि सपनो का कोई महँगा बाज़ार नहीं जिसमे सिर्फ अमीर ही जा सकता है। जब हम कुछ पाना चाहते है और हमे कोई उस वस्तु से दूर करे तो हमारी क्षमता उसे पाने की और प्रबल हो जाती है।

dream

कवियत्री सोचती है सफलता का रास्ता जितना पढ़ने में आसान लगता है उतना होता नहीं और दूसरो की सफलता देख ,ऐसा लगता है ये तो बहुत आसान है लेकिन एक बार उस सफल व्यक्ति की ज़िन्दगी में झाँक कर देखो उसने कितनी पीड़ा और कष्ट सह कर सफलता पाई है। कितने ऐसे साइंटिस्ट और महान हस्ती है जिन्होंने अपनी खोज व जग कल्याण में अपनी पूरी ज़िन्दगी ही लुटा दी। याद रखना दोस्तों कहना आसान होता है मगर करना उससे भी कई मुश्किल किसी की सफलता से जलो मत बल्कि उसके जीवन से प्रेरणा ले कर तुम भी उसके जैसे बनो।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

भेद भाव नहीं होता सपनो में,
दूरी बढ़ाती और प्यार अपनों में,
जहाँ कुछ पाने की चाह हो,
उस लक्ष्य को पाने में,
भले ही तुमने बहुत कुछ सहा हो।

[ये भी पढ़ें: अनेक रूप होते है हर इंसान के]

मगर सफलता तुम्हारे पग तभी ही चूमेगी,
जब अपने क्षेत्र के ज्ञान को पाने में,
हर महान आत्मा,हर जगह, बस उसी की तलाश में घूमेगी।
भले ही हो, तुमपे साधन हज़ार,
मगर सपनो का, कहाँ लगता कोई बज़ार।

[ये भी पढ़ें: ये मन बड़ा चंचल है]

ये तो कल्पना है अपने मन की,
जिसे कोई भी अपनी तरह से देख सकता है।
दूसरे की सफलता का रास्ता,
सबको आसान ही लगता है।
याद रखना-
पिस-पिस के गेहूँ ही फिर आटा बन जाता है।

[ये भी पढ़ें: विश्वास में टूट न जाये, विश्वास की डोर]

अपनी पीड़ा का एहसास, बस पिसने वाला ही कर पाता है।
दुनियाँ का क्या?? वो तो आराम से पिसे हुये,
आटे की रोटी खाती है।
मगर किसी की भूख मिटाने में,
किसी की जान निकल जाती है।

धन्यवाद।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.