आज कल की प्रगति परस्त ज़िन्दगी में हर व्यक्ति तनाव से ग्रस्त है यदि हम नज़र डाले आंकड़ों पर तो लगभग हर तीसरा व्यक्ति अवसाद यानि डिप्रेशन का शिकार है. ज़रूरी नहीं की डिप्रेशन बस व्यस्को में हो अपितु बाल्यावस्था भी इसकी चपेट में आती जा रही है. डिप्रेशन काफी प्रकार का होता है एक घंटे से लेकर बा उम्र भी रह सकता है. जब कोई व्यक्ति अवसाद संबंधी विकार से पीड़ित होता है, तो यह विकार उस व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन और उसके सामान्य कामकाज में बाधा डालता है.
और समय के साथ यदि कुछ उपाय न किये जाएं तोह यह विकार पीड़ित के साथ साथ उसके परिजनों के लिए भी परेशानिया शुरू कर देता है .अधिकतर मामलों में अवसाद से गंभीर रूप से पीड़ित मरीज भी इलाज से बेहतर हो सकते हैं. इस रोग के लिए हुई गहन मनोवैज्ञानिक शोधों से इस रोग से ग्रसित लोगों के इलाज के लिए अनेक औषधियां, साइकोथेरेपी, परामर्श और इलाज के अन्य तरीके ईजाद हुए हैं. परन्तु अभी भी जागरूकता आवश्यक है इस रोग के प्रति. अवसाद का जनक कोई भी कारन हो सकता है घर में कलह, एग्जाम में अच्छे मार्क्स न आना, कार्य स्थल पर बोहोत काम होना कुछ भी.
बीमारी वही नहीं होती जो दिखती है, मानसिक रोग शारीरिक रोगो से ज्यादा जानलेवा साबित हो सकते हैं.
क्या होता है डिप्रेशन?
वह मानसिक स्तिति जब हम लाइफ के हर पहलु को नकारात्मक रूप से सोचने लगते हैं. जब यह स्थिति चरम पर पहुंच जाती है तो व्यक्ति को अपना जीवन निरूद्देश्य लगने लगता है। जब मस्तिष्क को पूरा आराम नहीं मिल पाता और उस पर हमेशा एक दबाव बना रहता है तो समझिए कि तनाव ने आपको अपनी चपेट में ले लिया है. तनाव और बढ़त हुए डिप्रेशन के कारन शरीर में काफी प्रकार के हॉर्मोन का स्तर बढ़ता जाता है, जिनमें एड्रीनलीन (Adrenalin) और कार्टिसोल(cortisol) प्रमुख हैं. लगातार तनाव की स्थिति अवसाद में बदल जाती है. अवसाद एक गंभीर स्थिति है. यद्यपि यह कोई रोग नहीं है, परन्तु इस बात का संकेत है कि आपके शरीर और जीवन से संतुलन विदा ले रहा है. (सौ . विकिपीडिया)
कैसे पहचाने की डिप्रेशन/अवसाद है?
डिप्रेशन के कारणो की पहचान अभी तक नहीं हो पायी है, एक छोटी सी बात से लोगो को डिप्रेशन हो जाता है. परन्तु आनुवंशिकता, बायोकेमिकल, वातावरण और मनोवैज्ञानिक संबंधी मिश्रित घटकों को अवसाद के लिए उत्तरदायी मन जाता है. शोधो के अनुसार यह बात सामने आयी है की, पुरुषो की अपेक्षा महिलाये ज्यादा अवसाद से ग्रस्त होती है. इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे की उनका बातो को बहुत गहीन तरीके से सोचना, छोटी छोटी बातो को काफी बड़ा देना
यदि ये लक्षण किसी को 15 दिन से अधिक दिखाई दे तो बिना देर के किसी मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से परामर्श ले.
डिप्रेशन के लक्षण:
१. अत्यधिक चिंता करना
२. मन में नकारात्मक विचार रखना
३. भ्रामक विचार
४. काम में मैं न लग्न
५. चिड़चिड़ाहट
६. पागलो जैसा बर्ताव करना
७. स्ट्रेस में रहना
८. खुश न रहना
९. काम बोलना
१०. छोटी छोटी बातो पर क्रोधित होना
डिप्रेशन के मानसिक लक्षणों के साथ साथ कुछ शारीरिक लक्षण भी होते हैं, जिन्हे ध्यान में रखना अत्यधिक आवश्यक है. कभी कभी मानसिक लक्षणों को नकार दिया जाता है यह सोच कर की स्ट्रेस है,
१. सर दर्द रहना
२. खाना निगलने में परेशानी
३. अत्यधिक पसीना आना
४. हर वक़्त थकन की शिकायत
५. चक्कर आना
६. ब्लड प्रेशर में अनिमियतना
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प्रसव के बाद शहरी महिलाओं को होता है अधिक अवसाद
बड़े शहरों में रहने वाली महिलाओं में बच्चे को जन्म देने के पांच से 14 महीनों के बाद ऐसी हालत विकसित होने की आशंका तीन फीसदी अधिक होती हैं. शोधकर्तआओ के अनुसार शहरी जीवन एवं तनावपूर्ण वातावरण इसके पीछे उत्तरदायी हैं. उनका मानना है कि शहरी जीवन अधिक तनावपूर्ण होता है और यहां लोगों के बीच आपसी मेलजोल कम होने के कारण महिलाये अपने विचार एवं परेशानिया खुल के व्यक्त नहीं कर पाती और अपने ही विचारो में उलझे रहने के कारण तनावग्रस्त होने लगती हैं.
यदि हम मेडिकल साइंस की बात करे तो प्रसव के बाद विभिन्न हॉर्मोस भी इसके लिए उत्तरदायी होते हैं.
डिप्रेशन दूर करने के उपाय:
१. नियमित ध्यान एवं योग
२. जीवन के प्रति सकारात्मक सोच रखे
३. शराब अवं धूम्रपान से दूर रहे
४. अपनी फीलिंग्स को व्यक्त करें
डिप्रेशन काम करने के घरेलु नुश्खे:
१. धीमी अवं गहरी सांसे ले
२. सेंधा नमक का सेवन करे
३. Chamomile tea
४. विटामिन बी युक्त चीज़े ले
६. नियमित व्यायाम करें
७. खुश रहे
८. भरपूर नींद ले.
विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न नमिता कौशिक ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com
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